नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, जिसे द्वारकाधीश नागेश्वर भी कहा जाता है, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह पवित्र स्थल गुजरात के द्वारका शहर के पास स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है।
इतिहास | History
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन शिव पुराण और स्कंद पुराण में किया गया है। कथा के अनुसार, एक बार एक दानव ने सुवर्णद्वीप नामक स्थान पर उत्पात मचाया था। उस समय भगवान शिव ने नाग के रूप में प्रकट होकर उस दानव का वध किया और यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए।
इसके अलावा, एक अन्य कथा के अनुसार, सुप्रिय नाम के एक शिव भक्त को दारुक नामक राक्षस ने बंदी बना लिया था। सुप्रिय ने भगवान शिव का आह्वान किया, और शिव जी ने प्रकट होकर उस राक्षस का अंत किया। इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा “नागेश” नाम से की गई, और तब से यह स्थान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और समय | Nageshwar Jyotirlinga Timing
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में चार बार आरती होती है: सुबह, दोपहर, शाम, और रात को। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के दिन यहां विशाल आयोजन होता है, जब हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।
धार्मिक मान्यता
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से भक्तों को जीवन के सारे संकटों से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि यहां भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो भय, असुरक्षा और जीवन के संकटों से पीड़ित होते हैं।
यह स्थान शिव भक्तों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है और यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर स्वयं को धन्य मानते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा और इसकी ऐतिहासिक मान्यताओं के कारण यह स्थल हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।