ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल और राहु ग्रह एक साथ स्थित हों या किसी प्रकार से उनका संयोजन बन रहा हो, तो इसे “अंगारक दोष” कहा जाता है। यह एक अत्यंत नकारात्मक दोष माना जाता है, जो व्यक्ति को आक्रामक और हिंसक प्रवृत्ति का बना सकता है।
अंगारक दोस के लक्षण | Angarak Dosh Ke Lakshan
- व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है और अक्सर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता।
- किसी भी बहस या विवाद में व्यक्ति जल्दी से शारीरिक हिंसा का सहारा ले सकता है, और दूसरों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति रखता है।
- व्यक्ति बिना किसी स्पष्ट कारण के आक्रामक होता है, चाहे परिस्थिति कितनी भी सामान्य क्यों न हो।
- जातक हमेशा दूसरों पर अपनी इच्छाएं थोपने का प्रयास करता है और विरोध सहन नहीं कर पाता।
- व्यक्ति मुश्किल परिस्थितियों में धैर्य खो देता है और समस्याओं का शांतिपूर्वक समाधान करने में असमर्थ होता है।
अंगारक दोस के उपाय | Angarak Dosh Upay
- मंगल और राहु के शांति के लिए पूजा: अंगारक दोष को शांत करने के लिए नियमित रूप से मंगल और राहु ग्रहों की शांति हेतु विशेष पूजा करवानी चाहिए।
- हनुमान जी की उपासना: हनुमान जी की पूजा और मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से आक्रामकता कम होती है और मन शांत रहता है।
- मनोविज्ञानिक सलाह: यदि आक्रामकता और हिंसा अत्यधिक है, तो मनोविज्ञानी से परामर्श लेकर मनोचिकित्सा का सहारा लेना चाहिए।
- सकारात्मक ऊर्जा वाले रत्न धारण करना: ज्योतिषाचार्य की सलाह अनुसार मूंगा (लाल) और गोमेद रत्न धारण करने से मंगल और राहु के दोषों का प्रभाव कम हो सकता है।
- योग और ध्यान: नियमित योग और ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जिससे आक्रामकता और हिंसक प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
निष्कर्ष
आक्रामक और हिंसक प्रवृत्तियाँ न केवल व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि उसके सामाजिक जीवन को भी बाधित कर सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र में अंगारक दोष को इन प्रवृत्तियों के पीछे एक प्रमुख कारण माना गया है। हालांकि, सही पूजा, रत्न धारण, हनुमान जी की उपासना, और योग-ध्यान जैसे उपायों के माध्यम से इन दोषों को कम किया जा सकता है।