शनि देव की महिमा
प्राचीन काल की बात है। एक गाँव में एक ब्राह्मण देवता अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते थे। वे धर्म-कर्म में विश्वास रखते थे और सदैव पूजा-पाठ करते थे।
शनि देव का स्वप्न
एक दिन जब ब्राह्मण देवता सुबह जागे, तो वे बहुत चिंतित थे। यह देखकर उनकी पत्नी ने पूछा—
“स्वामी, आप इतनी चिंता में क्यों हैं?”
ब्राह्मण देवता ने उत्तर दिया—
“मुझे कई दिनों से एक ही सपना आ रहा है। एक व्यक्ति नीले वस्त्र धारण किए आता है और कहता है— ‘तुम्हें मेरी साढ़े साती लगेगी।’”
पत्नी ने कहा—
“स्वामी, यह कोई और नहीं, स्वयं भगवान शनिदेव हैं, जो आपको शनि की दशा लगाने की बात कर रहे हैं। जब वे पुनः स्वप्न में आएँ, तो उनसे कहिए कि वे सवा पहर से अधिक न लगाएँ।”
ब्राह्मण देवता ने सहमति दी और कहा कि वे ऐसा ही करेंगे।
शनि देव से विनती
अगली रात फिर से शनिदेव ब्राह्मण के स्वप्न में आए और बोले—
“तुम्हें मेरी साढ़े साती लगेगी!”
ब्राह्मण ने विनम्रता से प्रार्थना की—
“हे प्रभु! मुझमें इतनी सहनशक्ति नहीं कि मैं वर्षों तक आपकी दशा झेल सकूँ। कृपा कर सवा पहर तक ही लगा दीजिए।”
शनि देव ने कहा—
“ठीक है, मैं सिर्फ सवा पहर तक ही रहूँगा।”
ब्राह्मण का वन गमन
सुबह होते ही ब्राह्मण देवता ने अपनी पत्नी से कहा—
“मुझे शनि देव की कुदृष्टि लगी है सवा पहर के लिए। इस दौरान मैं वन में जाकर पूजा-अर्चना करूंगा।”
पत्नी ने सहमति जताई, और ब्राह्मण देवता जंगल चले गए।
वहाँ उन्होंने पूजा-पाठ किया और जब सवा पहर का समय पूरा होने ही वाला था, तो वे घर लौटने लगे।
तरबूज का चमत्कार
लौटते समय उन्होंने एक तरबूज का खेत देखा। उन्होंने सोचा—
“बच्चों के लिए दो तरबूज ले चलूँ।”
वे खेत के मालिक को ढूँढने लगे, लेकिन जब वह नहीं मिला, तो दो तरबूज तोड़कर उनका मूल्य वहीँ रख दिया और घर की ओर चल पड़े।
शनि देव की कुदृष्टि का प्रभाव
जब वे नगर में पहुँचे, तो दो सैनिकों ने उन्हें रोक लिया और पूछा—
“इस पोटली में क्या है?”
ब्राह्मण देवता ने उत्तर दिया—
“इसमें तरबूज हैं।”
लेकिन सैनिकों को संदेह हुआ और उन्होंने पोटली खोलने को कहा।
जैसे ही ब्राह्मण ने पोटली खोली, वे हैरान रह गए—
“तरबूज की जगह राजा के दोनों पुत्रों के कटे हुए सिर पोटली में थे!”
सैनिकों ने ब्राह्मण को बंदी बना लिया और राजा के सामने ले गए।
राजा ने जब यह सुना, तो क्रोधित होकर ब्राह्मण को फाँसी की सजा सुना दी।
ब्राह्मण की अंतिम प्रार्थना
ब्राह्मण ने राजा से प्रार्थना की—
“हे महाराज! मुझे अपनी अंतिम पूजा करने की अनुमति दी जाए।”
राजा ने अनुमति दे दी।
ब्राह्मण ने पूजा शुरू की। जैसे ही सवा पहर का समय पूरा हुआ, शनि की कुदृष्टि समाप्त हो गई।
कुछ ही क्षणों में राजा के दोनों पुत्र शिकार से लौट आए!
यह देखकर राजा और सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए।
राजा का पश्चाताप
राजा ने ब्राह्मण को सजा से मुक्त कर दिया और पूछा—
“यह सब क्या था?”
ब्राह्मण देवता ने उत्तर दिया—
“मुझ पर शनि देव की सवा पहर की दशा लगी थी, जो अब समाप्त हो गई है।”
राजा ने पूछा—
“अगर शनि की दशा लगे तो क्या करना चाहिए?”
शनि की दशा से बचने के उपाय
ब्राह्मण देवता ने उत्तर दिया—
- काले कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएँ।
- सामर्थ्यवान व्यक्ति काले घोड़े या काले हाथी का दान करें।
- शनिवार के दिन शनि देव की कथा और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- शनिदेव को काले तिल, उड़द, तेल और लोहे का दान करें।
यह सुनकर राजा ने ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक विदा किया।
सोने की पोटली
जब ब्राह्मण घर पहुँचे, तो पत्नी ने पूछा—
“स्वामी, पोटली में क्या लाए हैं?”
ब्राह्मण ने कहा—
“बच्चों के लिए तरबूज लाया हूँ।”
पत्नी ने पोटली खोली, लेकिन यह क्या?
“तरबूज की जगह उसमें सोने-चाँदी और हीरे-जवाहरात भरे थे!”
ब्राह्मण यह देखकर अत्यंत आश्चर्यचकित और प्रसन्न हो गए।
शनि देव की स्तुति
ब्राह्मण ने शनिदेव को प्रणाम किया और कहा—
“हे शनि देव! आपकी महिमा अपरंपार है। जब आपकी सवा पहर की दशा लगी, तो तरबूज राजा के पुत्रों के सिर बन गए। और जब दशा समाप्त हुई, तो वे ही तरबूज सोने-चाँदी के बन गए!”
“हे शनि देव! कृपा करें कि आपकी कुदृष्टि किसी पर न लगे, और जैसे आपने मुझ पर कृपा की, वैसे ही सब पर करें!”