बसंत पंचमी की पूजा माँ सरस्वती की उत्पत्ति और बसंत ऋतु आने के उत्साह में की जाती है। बसंत पंचमी हर साल माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है इस दिन देवी सरस्वती के साथ भगवान विष्णु व कामदेव की पूजा की जाती है
- बसंत पंचमी की पूजा शिक्षा विभाग, साहित्य, और कला से संबंधित संस्थान में सभी लोग अपने कार्यस्थल, विद्यालय आदि में देवी सरस्वती की पूजा करते है।
- मान्यता है की इस दिन माँ माता सरस्वती का अवतरण और बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है इसीलिए बसंत पंचमी मनाई जाता है।
- बसंत पंचमी के दिन पूजा सूर्योदय के पश्चात परंतु दोपहर के पहले करना होता है।
- अगर बसंत पंचमी की तिथि का आरंभ दोपहर या दोपहर के बाद होती है, तो इस दिन पूजा नहीं होगी बल्कि पूजा अगले दिन होगी।
- यह त्योहार मुख्य रूप से भारत और इसके सभी राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल आदि देशों में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी 2025 | Basant Panchami 2025
साल 2025 बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:09 मिनट से 12:35 मिनट तक है। पंचमी तिथि का आरंभ 2 फरवरी को 9:15 AM से होगा और समाप्ति अगले दिन 6:50 AM पर होगी।
जानिए बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है? | Basant Panchami Kyu Manaya Janta Hain?
बसंत पंचमी से सम्बंधित हिन्दू धर्म में अनेक कथाये और विचार है।
ब्राह्मा जी ने इस सम्पूर्ण ब्रह्माण और मनुष्य जाती जीवों पक्षियों की रचना की। परंतु उन्हे हर तरह शांत और सूनापन महसूस हुआ ऐसा लगा की अभी भी किसी चीज की कमी है। इस विचार को उन्होंने भगवान श्री हरि विष्णु से किया।
तो भगवान श्री विष्णु ने और ब्राह्मा जी ने विचार विमर्श किया और ब्राह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का जिससे माता सरस्वती कमल पर विराजमान निकली। माँ सरस्वती ज्ञान की देवी थी और उन्हेाने सभी जीवों को ज्ञान और कला साहित्य का ज्ञान दिया। इसीलिए बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की आराधना की जाती है। इसके आलवा इस त्योहार से संबंधित कुछ लोग के अन्य मत भी है, इस त्योहार को बसंत मौसम आने और नई फसल तैयार हो जाने की खुसी में मनाया जाता है।