भगवान गणेश की कृपा से साहूकार को संतान प्राप्ति
प्राचीन काल की बात है। एक ग्राम में एक धनवान साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। वे दोनों भगवान गणेश के परम भक्त थे और प्रतिदिन उनकी पूजा-अर्चना किया करते थे। साथ ही, वे सदैव गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे।
हालाँकि उनके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, फिर भी उनके जीवन में एक बड़ी कमी थी—संतान न होना। इस कारण वे अत्यंत दुखी रहते थे। गाँव के लोग भी उन्हें ताने देते थे, लेकिन साहूकार और उसकी पत्नी ने भगवान पर अटूट विश्वास बनाए रखा और सोचा कि ईश्वर अवश्य ही उनके लिए कुछ अच्छा सोच रहे होंगे।
मंदिर की सीढ़ियों पर रोता हुआ बालक
एक दिन पति-पत्नी गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना करने गए। पूजा समाप्त कर जब वे मंदिर के बाहर आए, तो उन्होंने देखा कि एक छोटा सा बालक सीढ़ियों पर बैठकर रो रहा था। वे बालक के पास गए और उसे शांत कराने का प्रयास किया।
जब उन्होंने आसपास देखा तो बालक के माता-पिता कहीं नजर नहीं आए। चिंतित होकर वे उसे मंदिर के पुजारी के पास ले गए और बोले, “यह बालक हमें मंदिर के बाहर अकेला रोता हुआ मिला। क्या आप इसके माता-पिता को जानते हैं?”
पुजारी ने सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा।”
बालक को गोद लेना
साहूकार, उसकी पत्नी और पुजारी तीनों मिलकर बालक के माता-पिता को खोजने लगे। कई घंटों की तलाश के बाद भी जब उसके माता-पिता का कोई पता नहीं चला, तो पुजारी ने साहूकार से कहा, “आप इस बालक को अपने घर ले जाइए। यदि इसके माता-पिता इसे ढूँढ़ते हुए आए, तो मैं स्वयं उन्हें आपके घर ले आऊँगा।”
साहूकार और उसकी पत्नी बालक को अपने घर ले आए और उसे अपना पुत्र मानकर स्नेहपूर्वक उसका पालन-पोषण करने लगे। कई वर्ष बीत गए, लेकिन उसके असली माता-पिता का कोई पता नहीं चला। तब उन्होंने गाँव के सरपंच से अनुमति लेकर बालक को विधिवत गोद ले लिया और उसका नाम ‘गणेश’ रख दिया।
धोखेबाज पति-पत्नी की योजना
कुछ समय बाद, गाँव में एक दंपति आया, जो चोरी और धोखाधड़ी करने में माहिर थे। जब उन्होंने सुना कि गाँव के सबसे धनी व्यक्ति, साहूकार, ने एक अनाथ बालक को गोद लिया है, तो उन्होंने उसे अपना पुत्र बताकर साहूकार को ठगने की योजना बनाई।
वे दोनों मंदिर में जाकर रोने लगे। पुजारी ने जब उन्हें रोते हुए देखा, तो उनसे रोने का कारण पूछा।
वे बोले, “आज से चार साल पहले इसी मंदिर में हमारा बेटा खो गया था। तब से हम उसे पूरे देश में ढूँढ़ रहे हैं, लेकिन अब तक हमें उसका कोई पता नहीं चला।”
पुजारी को विश्वास हो गया कि यह वही बालक हो सकता है, जिसे साहूकार ने गोद लिया था। उन्होंने दोनों को साहूकार के घर ले जाकर कहा, “साहूकार जी, गणेश के असली माता-पिता आ गए हैं और वे अपने पुत्र को लेने आए हैं।”
गणेश को सौंपने की तैयारी
साहूकार और उसकी पत्नी यह सुनकर अत्यंत दुखी हुए। लेकिन उन्होंने सोचा कि यह बालक यदि वास्तव में इन्हीं का पुत्र है, तो इसे अपने माता-पिता के पास ही जाना चाहिए।
उन्होंने उन पति-पत्नी से कहा, “रात हो चुकी है, आप लोग यहीं विश्राम कीजिए। सुबह होते ही गणेश को लेकर अपने घर चले जाइए।”
यह सुनकर वे दोनों चोर अत्यंत प्रसन्न हो गए, क्योंकि उन्हें रात में चोरी करने का अवसर मिल गया था।
रात में चोरी का प्रयास
जब साहूकार और उसकी पत्नी गहरी नींद में सो रहे थे, तो दोनों चोर उठे और तिजोरी तोड़ने लगे।
आवाज़ सुनकर साहूकार का नौकर जाग गया। उसने चोरी होते देखी और तुरंत कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। फिर वह तेजी से साहूकार को बुलाने दौड़ा।
साहूकार और उसकी पत्नी ने चिल्लाने का कारण पूछा, तो नौकर ने बताया, “मालिक, यह दोनों पति-पत्नी तिजोरी तोड़कर चोरी कर रहे थे!”
साहूकार यह देखकर समझ गए कि ये गणेश के माता-पिता नहीं, बल्कि धोखेबाज चोर हैं। उन्होंने गणेश को सौंपने से इनकार कर दिया और उन दोनों को गाँव से निकाल देने का आदेश दिया।
सच्चाई की परीक्षा
लेकिन वे चोर आसानी से हार मानने वाले नहीं थे। वे गाँव के सरपंच के पास गए और झूठी शिकायत की, “साहूकार हमारे पुत्र को हमें वापस नहीं कर रहा है।”
सरपंच ने साहूकार और उसकी पत्नी को बुलाकर कहा, “इस विवाद का निपटारा करने के लिए हमें कोई प्रमाण चाहिए।”
गाँव के बुजुर्गों ने एक परीक्षा का सुझाव दिया—
“दोनों औरतें, यानी साहूकार की पत्नी और वह धोखेबाज महिला, सूर्य देवता के सामने अपना आँचल फैलाएँगी। जिसके आँचल से दूध की धारा गणेश के मुँह में जाएगी, वही उसकी सच्ची माँ होगी।”
गणेश की असली माँ का पता चलता है
साहूकार की पत्नी और धोखेबाज महिला दोनों सूर्य के सामने खड़ी हुईं और प्रार्थना करने लगीं। भगवान गणेश की कृपा से साहूकार की पत्नी के आँचल से दूध की धारा निकली और गणेश के मुँह में चली गई।
यह चमत्कार देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। गाँव के सरपंच ने घोषणा की कि गणेश का असली अधिकार साहूकार और उसकी पत्नी को है। गाँववालों ने ‘गणेश जी की जय’ के जयकारे लगाए और धोखेबाज पति-पत्नी को गाँव से बाहर निकाल दिया।
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