शाकमभरी पूर्णिमा पौष मास के पूर्णिमा को देवी शाकंभरी के प्रकोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है की देवी शाकंभरी एक पोषण या अनाज की देवी है जो की सम्पूर्ण विश्व में सूखे व भुखमरी को समाप्त करने के लिए प्रकट हुई थी इसके लिए उन्होंने एक राक्षस का वध किया, क्योंकि वह इस भुखमरी और सूखे का मुख्य कारण था।
राक्षस से मिले सभी पवित्र ग्रंथों को देवी ने ब्रह्माण को दे दिया, तथा अपने स्वयं के स्वरूप से अनाज का उत्पादन कर सभी जीवों का कल्याण किया।
- यह देवी अनाज व पोषण की देवी है, जो सम्पूर्ण विष्णु के सभी जीवों को पोषण प्रदान करती है।
- शाकंभरी पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के रूप में भी जाना जाता है।
- शाकंभरी जयंती अर्थात पूर्णिमा, शाकंभरी नवरात्रि के अंतिम दिन मनाया जाता है।
- मा शाकंभरी का शरीर कांतिमय व आँखें नीलकमल के समान है, चेहरे पर एक अलग सा तेज है।
- भारत में शाकंभरी माता को वनाषनकरी देवी, वनशंकरी भी कहा जाता है, तथा यह मा पार्वती का ही एक स्वरूप है।
- मान्यता है की मा 100 वर्ष के बाद प्रकट हुई, जब पृथ्वी पर सभी पेड़, पौधे, अनाज खत्म हो चुके सभी प्राणी भोजन के लिए परेशान थे।
- तब मा प्रकट हुई और अपने स्वरूप से पेड़ पौधे, अनाज को उत्पन्न किया और अभी जीवों का कल्याण किया।
- शाकंभरी पूर्णिमा पर सभी भक्त मा की पूजा व उनका उपवास व दान पुण्य करते है।
- मा शाकंभरी का मंदिर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में स्थित है, जहा पर इस तिथि पर मेला भी लगता है।
- देवी को ‘साग का वाहक’ व इन्हे शाकाहारी खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है।
शाकंभरी पूर्णिमा 2025 | Shakambhari Purnima 2025
वर्ष 2025 में शाकंभरी पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 को पड़ेगी। इस पूर्णिमा तिथि की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 13 जनवरी 2025 दिन सोमवार को सुबह 5:25 मिनट पर होगी, तथा तिथि की समाप्ति अगले दिन 14 जनवरी की रात्रि 3:56 मिनट पर होगी।
महत्व | Mahatv
- व्यक्ति के घर में खाद्यान पदार्थों की कभी कमी नहीं होती है।
- इसके आलवा घर में सुख-समृद्धि आती है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह आता है।
- मा भक्तो के मनवांछित फल प्रदान करती है।