रमन रेती भगवान श्री कृष्ण, राधा रानी, और बलराम से संबंधित वह पवित्र रेतीली भूमि है, जहां उन्होंने बचपन में अनेक बाललीलाएं की थीं। यह स्थल मथुरा से लगभग 14 किलोमीटर दूर गोकुल में स्थित है। इसी स्थल पर भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ मिलकर अनेक लीलाएं करते थे। इसके अलावा, राधा रानी से मिलने के लिए भी भगवान श्री कृष्ण इसी स्थल पर आते थे।
इस स्थल पर एक रेतीली परिसर है, जहां सभी भक्त बिना चप्पल के इस पवित्र रेत पर नंगे पाँव चलते हैं। रमन रेती प्रांगण में दाई तरफ तीन मंदिर बने हैं। पहला मंदिर भगवान शिव का, दूसरा नवग्रह का, और तीसरा भव्य मंदिर राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण का है। यहाँ दर्शन के लिए आए सभी श्रद्धालु अपने साथ किसी पात्र में रेत को भी ले जाते हैं, जिसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस रेत में लोटने से सभी दुख, शारीरिक रोग, और कष्ट खत्म हो जाते हैं।
रमन रेती परिसर में पक्षी अभ्यारण, मंदिर, और हिरण अभ्यारण भी स्थित हैं, जिससे यहाँ का वातावरण अत्यंत मनमोहक लगता है। इसी परिसर में अनेक हरी-भरी डालियों से झोंपड़ियाँ बनाई गई हैं, जहां दूर-दूर से आए साधु संत और श्रद्धालु विश्राम कर सकते हैं।
यह वो स्थल हैं , जहां भगवान श्री कृष्ण ने अनेक राक्षसों का वध और अनेक लीलाएँ की थीं। इसी परिसर में ज्ञानदास जी का एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि रमन रेती की स्थापना ज्ञानदास जी ने कराई थी। एक बार श्री कृष्ण खेल रहे थे और उनकी बाल किसी गोपी ने चुरा ली थी। बॉल न मिलने पर भगवान ने रेत से बॉल बना ली थी।
रमन रेती जाने के लिए आप किसी भी बस, टैक्सी, या ऑटो की सहायता से आसानी से पहुँच सकते हैं।
समय | Timing
रमन रेती गर्मी के समय सुबह 5 बजे से 12 बजे तक जा सकते है इसके बाद शाम 4:00 से 9:00 तक जा सकते है। सर्दियों में यही मंदिर सुबह 4:30 खुलता है और शाम को 8:30 बजे बंद हो जाता है।