निधिवन, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक पवित्र और रहस्यमय धार्मिक स्थल है। यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं से संबंधित मान्यताओं और कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। निधिवन में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के रास लीला की दिव्य कहानियाँ सजीव हो उठती हैं, जिसके कारण यह स्थान श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
जानिए रात को निधिवन क्यों नहीं जाते?
निधिवन में रात को किसी भी श्रद्धालु या भक्त का जाना मना है। शाम की पूजा के बाद यहां मनुष्य सहित पशु-पक्षी भी निधिवन छोड़ देते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के रास को जो भी देख लेता है, वह गूंगा और बहरा हो जाता है क्योंकि सामान्य मनुष्य के पास इतनी शक्ति नहीं होती कि वह भगवान के दिव्य रूप को देख सके।
इस वन में लगे तुलसी के पौधों को यहां से अपने साथ ले जाना मना है। यहां पाए जाने वाले वृक्षों की खास बात यह है कि ये सभी वृक्ष सीधे न होकर नीचे की तरफ झुके और एक-दूसरे से गुंथे हुए हैं। मान्यता है कि ये एक-दूसरे से गुंथे हुए वृक्ष रात में गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं।
निधिवन में ही श्री स्वामी हरिदास की समाधि भी स्थित है, जो इस पवित्र स्थल की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाती है।
समय | Nidhivan Timing
निधिवन सुबह 5:00 से शाम 8:00 बजे तक खुला रहता है और यहां जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। दोपहर के समय कुछ समय के लिए यह बंद रहता है। मान्यता के अनुसार, रात को भगवान श्रीकृष्ण राधारानी के संग रास रचाते हैं, इसलिए निधिवन में रात्रि को प्रवेश की मनाही है।
कहानी | Nidhivan Ki Kahani
निधिवन, मथुरा जिले का एक पवित्र धार्मिक स्थल, भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी से जुड़ी अनेक मान्यताओं और रहस्यों से भरा हुआ है। कहा जाता है कि प्रतिदिन अर्धरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी यहाँ रास रचाते हैं, और यहाँ लगे तुलसी के पौधे रात्रि को गोपिकाओं का रूप धारण कर लेते हैं। इसी कारण, शाम को पूजा और आरती के बाद इस मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
निधिवन के तुलसी के पौधों को बाहर ले जाना वर्जित है। मान्यता है कि जो कोई इन्हें अपने साथ ले जाता है, उसके साथ कोई अनहोनी घटती है, जिससे लोग इन पौधों को छूने से भी डरते हैं।
रात के समय निधिवन में प्रवेश करना मना है। कहा जाता है कि जो कोई भी भगवान के रास को देख लेता है, वह अंधा, गूंगा और बहरा हो जाता है। इसी कारण, शाम को सभी मनुष्य और पशु-पक्षी निधिवन को छोड़ देते हैं।
निधिवन में एक रंगमहल है, जिसे राधारानी का शृंगार महल माना जाता है। यहाँ प्रतिदिन भगवान के लिए दूध, दही, मेवे आदि रखा जाता है। मान्यता है कि रात्रि को रास रचाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण यहीं विश्राम करते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि जब सुबह मंदिर खोला जाता है, तो बिस्तर ऐसा लगता है जैसे किसी ने उस पर विश्राम किया हो और दातुन किया हुआ मिलता है।