कृष्णजन्माष्टमी हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव मे मनाया जाता हैं। यह पर्व हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आती है।
इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा, व्रत, और भजन करते हैं, और कथाएँ सुनते हैं जो उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं पर आधारित होती हैं। इस दिन कई स्थानों पर रासलीला का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें लोग भगवान कृष्ण के लीलाओं का आनंद लेते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024 | Krishna Janmashtami 2024
2024 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि 26 अगस्त है। पूजा का समय 26 अगस्त की रात्रि को 12:00 से 12:45 तक होगा। जन्माष्टमी व्रत का पारण 27 अगस्त को सुबह 5:30 के बाद किया जा सकता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाते है? | Krishna Janmashtami kaise manate hain?
जन्म अष्टमी के दिन सभी मंदिरों को सजाया जाता है, व्रत रखा कर पूजा की जाती है। रात्री को भगवान श्री कृष्ण का जन्म कराया जाता है, इसके लिए एक डंठल वाले खीरे को काटकर भगवान कृष्ण की बाल प्रतिमा को उसपर विराजमान कर जन्म कराया जाता है।
इसके बाद भगवान को साफ कर उन्हे वस्त्र पहनाए जाते है, और उन्हे फूल माला अर्पित किया जाता है।इसके बाद भगवान को 56 भोग चढ़ाया जाता है।
भक्त रात भर जागरण करते है और पूरी रात नाच – गाना होता है। इस पर्व पर दही हांडी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिसे सभी लोग भाग लेते है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी मथुरा में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है, क्यू की वह श्री कृष्ण की जन्मस्थली भी है। यह पर्व भारत में ही नहीं विदेश में भी धूम-धाम से मनाया जाता है।
कथा | Krishna Janmashtami Katha
पौराणिक मान्यता है की भगवान श्री कृष्ण का जन्म उनके मामा कसं के वध कर उसके अत्याचार से मुक्ति के लिए हुआ था। कसं बहुत ही अत्याचारी और क्रुर राजा था, वह अपनी जनता पर अत्याचार करता और कष्ट देता था। कसं की एक बहन थी देवकी, जिससे वह अत्यंत प्रेम करते थे। वह अपनी बहन का विवाह अपने पसंद के राजकुमार सम्पन्न करा कर लौट ही रहा था।
तभी आकाशवाणी हुई जिसमे कहा “हे कसं जिस बहन का तुमने विवाह कराया है,वही बहन का आठवा पुत्र तुम्हारी मृत्यु का कारण होगा”। यह सुन कसं अपनी बहन और उसके पति कालकोठारी में बंद कर दिया।
जब भी देवकी किसी भी बालक को जन्म देती कसं आता और उसे पत्थर पर पटक देता जिससे उसकी मृत्यु हो जाती थी।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी की मध्यरात्रि को हुआ, तो उनकी बेड़िया अपने आप खुल गई और जेल के सभी द्वार भी स्वयं खुल गए, और सभी पहरेदार गहरी नींद में सो गए।
कृष्ण के पिता वासुदेव ने उन्हे एक टोकरी में रखकर नन्दबाबा के यहाँ छोड़ आये, और उनकी नवजात बच्ची को उठा लाए। जब वह जेल में वापस पहुचे तो सभी द्वार अपने आप बंद होने लगे, तथा बेड़िया खुद से उन्हे फिर से जकड़ ली।
जब कसं को यह पता चला की देवकी ने बच्चे को जन्म दिया है, तो वह उसे मारने के लिए कारागार में पहुचा। कारागार में पहुच कर देवकी से उस बालिका को छिन लिया, और उसे एक पत्थर पर पटकने का प्रयास किया।
परंतु बालिका योगमाया का रूप थी, वह अपनी असली रूप में आई और बोली “कसं जिसे तू मारना चाहता है वो मै नही हु, तुझे मारने वाला जन्म ले चुका है वह समय आने पर तुम्हर वध अवश्य करेगा।“