हिन्दू धर्म में सभी पूर्णिमाओ में वैशाख पूर्णिमा का महत्वपूर्ण स्थान है। वैशाख पूर्णिमा पर भगवान श्री हरि विष्णु, व माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, व किसी तीर्थस्थल पर स्नान आदि कर भगवान की अराधना करते है और उन्हे तुलसीदल अर्पित कर, ब्राह्मण को भोजन व दानपुण्य का कार्य किया जाता है।
- अंग्रेजी कलेंडर के मई माह को हिन्दू कलेंडर में वैशाख कहलाता है, वैशाख माह के पड़ने पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा कहा जाता है।
- वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत करने से जातक की कभी भी अकाल मृत्यु का सामना नहीं होता है।
- इसके आलवा जातक के भूल से हुए पाप से छुटकारा मिलता है।
- वैशाख पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि किया जाता है व सूर्यदेव को जल अर्ध दिया जाता है।
- इसके बाद श्री हरि की अराधना उन्हे भोग चढ़ाया जाता है।
- तत्पश्चात ब्रह्मण को तील व शक्कर दान व भोजन कराना चाहिए।
- इसके आलवा वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध की जयंती भी मनाई जाती है।
- ऐसे मान्यता है की भगवान बुद्ध भगवान विष्णु के 23वे अवतार रूप में जन्म लिए थे।
वैशाख पूर्णिमा 2024 | Vaishakh Purnima 2024
वैशख पूर्णिमा 2024 में 23 मई दिन गुरुवार को पड़ेगी। इस पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 22 मई 2024 शाम 6:24 मिनट पर होगा जो 23 मई 2024 की शाम 7:22 मिनट तक रहेगा।
वैशाख पूर्णिमा 2025 | Vaishakh Purnima 2025
वैशाख पूर्णिमा वर्ष 2025 में 12 मई दिन सोमवार के दिन पड़ेगी। तिथि की शुरुआत 11 मई 2025 शाम 5:30 मिनट पर होगी, जो 12 मई 2025 की शाम 7:22 मिनट पर समाप्त होगी।
वैशाख पूर्णिमा कथा | Vaishakh Purnima Katha
वैशाख पूर्णिमा से संबंधित अनेक कथाये प्रचलित है-
प्राचीन काल में काशीपुर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मणदेव प्रतिदिन गाव में सभी के यहाँ भिक्षा मांगते और जो भी मिलता उसी को खा कर जीवन निर्वाह करते है। एक बार श्री हरि विष्णु ने ब्राह्मण की नजर पड़ी, तो वह ब्राह्मण के पास के भिक्षुक के रूप में पहुच गए।
ब्राह्मण के पास पहुँच कर विष्णु जी ने उससे भिक्षा की मांग की, तब ब्राह्मण ने अपनी परिस्थितिया भिक्षु के रूप में भगवान विष्णु को बताई। तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण को उसके दुखों से मुक्ति के उपाय बताने लगे।
भगवान विष्णु ने कहा आप भगवान सत्यनारायण की पूजा व्रत और कथा का पालन करो, वह बहुत ही दयालु है तुमहरी सभी कष्टों को हर लेंगे। इतना बता भगवान विष्णु ने अंतर्ध्यान हो गए। गरीब ब्राह्मण ने भगवान विष्णु की पूजा की और उसके सभी कष्टों का नाश हो गया।