सीता नवमी माता सीता के प्रकोटत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू कलेंडए के अनुसार हर साल वैशाख माह (अप्रैल-मई) के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी या सीता जयंती मनायी जाता है।
- माता सीता भगवान श्री राम की अर्धनग्नी, और राजा जनक की पुत्री थी।
- माता सीता को शक्ति, पवित्रता त्याग की देवी का प्रतीक माना जाता है।
- सीता नवमी के दिन माँ सीता की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सीता नवमी 2024 | Sita Navami 2024
वर्ष 2024 में सीता नवमी 16 मई दिन गुरुवार को पड़ेगी। तिथि का आरंभ 16 मई को सुबह 6:11 मिनट पर होता है, तथा समाप्ति 17 मई की सुबह 08:11 मिनट पर होगा।
सीता नवमी 2025 | Sita Navami 2025
वर्ष 2025 में सीता नवमी 6 मई दिन मंगलवार को पड़ेगी। तिथि की शुरुआत 5 मई को 7:46 मिनट पर होगा और समाप्ति अगले दिन 6 मई 8:38 मिनट पर होगा।
कथा | Katha
पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार राजा जनक की नगरी मिथिला में सूखा पड गया। मिथिला के राजा जनक सूखे से परेशान होकर ऋषि के पास गए, और उनसे इसका उपाय पूछा। ऋषि ने कहा राजा जनक को कहा ‘आप आपको यज्ञ करना होगा और मेरे द्वारा दिए गए मंत्र का जाप कर हल चलाने से आपको इस समस्या से निजात से मिल जाएगी’।
राजा जनक ने ऋषि की आज्ञा मानकर एक यज्ञ का आयोजन किया, तथा उन्होंने स्वयं मंत्र का उच्चारण कर हल चलाने लगे। जब राजा जनक हल चला रहे थे, तभी अचानक से हल किसी ठोस वस्तु से टकराया।
जब राजा जनक ठोस वस्तु के पास गए, तो उन्होंने देखा एक डलिया में सुंदर सी कन्या पड़ी है। राजा जनक ने उस कन्या को तुरंत गोद में उठा लिया, और गोद में लेते ही बादल छा गए तथा बारिश होने लगी।
यह देख राजा जनक ने उस कन्या को ईश्वर का आशीर्वाद मांनकर, उसको अपनी पुत्री मान लिया और उनका नाम सीता रखा। माता सीता जिस दिन पृथ्वी पर प्रकट हुई, वह दिन वैशाख माह का शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि इसीलिए इस दिन को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है।