श्री कुबेर चालीसा, कुबेर जी की महिमा को स्तुति करने वाला एक प्रमुख आराधना-स्तोत्र है। इसको नियमित रूप से पाठ करके भक्त अपने जीवन को संतुलित बनाते हैं, और श्री कुबेर की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति का आनंद उठाते हैं।
- कुबेर जी हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में धन के देवता के रूप में प्रमाणित हैं
- वे विश्वकर्मा और वैश्रवण के पुत्र हैं और देवता कुबेर नाम से जाने जाते हैं।
- श्री कुबेर की पूजा विशेषकर धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है।
- उनकी आराधना लक्ष्मी-कुबेर पूजा के रूप में जाना जाता है।
- इनकी स्तुति करने वाले व्यक्ति को धन और ऐश्वर्य में वृद्धि की प्राप्ति होती है।
- कुबेर जी की आराधना करने से, कर्ज से जल्दी मुक्ति मिलती हैं।
श्री कुबेर चालीसा (Shri Kuber Chalisa In Hindi)
॥दोहा॥
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥
॥ चौपाई ॥
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।
सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं ।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥
सदा विजयी कभी ना हारैं ।
भगत जनों के संकट टारैं ॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।
विभीषण भगत आपके भ्राता ॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।
अमृत पान करी अमर हुई काया ॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।
देवी देवता फिरैं साथ में ॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ।
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।
गदा त्रिशूल हाथ में साजैं ॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं ।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।
ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥
पुरुषोंमें जैसे भीम बली हैं ।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥
कांधे धनुष हाथ में भाला ।
गले फूलों की पहनी माला ॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।
दूर दूर तक होए उजाला ॥
देव कुबेर को जो मन में धारे ।
सदा विजय हो कभी न हारे ॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे ।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं ।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥
कुबेर भगत के संकट टारैं ।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे ।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।
अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं ।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।
कुबेर भूले को राह बता दे ॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।
जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥
पाठ करे जो नित मन लाई ।
उसकी कला हो सदा सवाई ॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।
उसका जीवन चले सुखदाई ॥
जो कुबेर का पाठ करावै ।
उसका बेड़ा पार लगावै ॥
उजड़े घर को सुरंग बसावै ।
शत्रु को भी मित्र बनावै ॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।
सब सुख भोद पदार्थ पाई ॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥.
॥दोहा॥
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ॥
चालीसा पढ़ने का नियम:
- समर्पण भाव: चालीसा पढ़ने से पहले, मन को एकाग्रता के साथ कुबेर जी की आराधना में लगाएं ,और पूजा स्थल पर ध्यान लगाकर बैठ जाएं।
- ध्यानात्मक चित्र: कुबेर जी का ध्यानात्मक चित्र देखकर मन को उन पर समर्पित करें।
- शुद्धता: स्नान करके और शुद्ध रूप से बैठें, ताकि पूजा में साकारता और पवित्रता हो।
- आदरपूर्वक पाठ: श्री कुबेर चालीसा मैं दी गई चॉपई को आदरपूर्वक बोलें, हर शब्द को महसूस करें।
- प्रार्थना: चालीसा पूर्ण होने पर श्री कुबेर जी को मन से धन्यवाद दें और अपनी मनोकामनाएं की प्रार्थना करें।
श्री कुबेर चालीसा के लाभ:
- धन प्राप्ति: कुबेर चालीसा का पाठ करने से भक्त को धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- कारोबार में सफलता: कुबेर चालीसा का प्रयोग करने से व्यापारिक क्षेत्र में सफलता मिलती है।
- ऋण मुक्ति: यह चालीसा ऋणों से मुक्ति और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भी प्रसिद्ध है।
- जीवन में सफलता: श्री कुबेर चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में समृद्धि और सफलता का अनुभव होता है।
- आत्मिक शांति: श्री कुबेर चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और मानसिक स्थिति में सुधार होता है।
विशेष अवस्थाएं होने पर कुबेर चालीसा के पठन के साथ-साथ विशेष पूजा और अर्चना करें। धन्यवाद