शिव मंत्र का जाप और उनका उच्चारण शिव भक्ति और आध्यात्मिकता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इस मंत्र का जाप भगवान शिव के आद्यात्मिक स्वरूप की महिमा को महसूस करता हैं।
- इसका का जाप कोई भी कर सकता हैं, और उच्चारण प्रतिदिन 108 बार जरूर करे।
- यह मंत्र भक्त को शिव जी अद्वितीय शक्ति के अनुभव का दर्शन करता हैं।
- शिव मंत्र का जाप पूजा के बाद करने से सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती हैं।
भगवान शिव के 5 सबसे मुख्य मंत्र
- पंचाक्षरी शिव मंत्र (महत्वपूर्ण शिव मंत्र)
- शिव रुद्र मंत्र
- शिव गायत्री मंत्र
- शिव ध्यान मंत्र
- एकादश रुद्र मंत्र
1. पंचाक्षरी शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय ||
- इस मंत्र के जाप से भक्त भगवान शिव की आराधना करता हैं और अपने आत्मिक एवं मानसिक शांति के लिए प्रार्थना करता है।
- यह मंत्र व्यक्ति के आत्मविश्वास बढ़ाने और उसकी सफलता प्राप्त करने मे मदद करता हैं।
- यदि कोई नकारात्मक ऊर्जा से असुरक्षित महसूस कर रहा है, तो पंचाक्षरी शिव मंत्र का जाप करे।
- इस मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार जरूर करे।
2. शिव रुद्र मंत्र:
ॐ नमो भगवते रुद्राय।
- इस मंत्र के जाप से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं, क्योंकि उनका दूसरा नाम रुद्र हैं।
- भगवान शिव को सबसे दयालु देवता के रूप मे जाना जाता हैं। उनको प्रसन्न करना बहुत आसान है।
- शिव रुद्र मंत्र का जाप करने से दुःखों और संकटों का नाश होता है।
3. शिव गायत्री मंत्र:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्॥
- यह सबसे शक्तिशाली मंत्र हैं, इसके प्रयोग से भक्त को बुद्धि, बल, और संतुलन की प्राप्ति होती है।
- शिव गायत्री मंत्र का जाप से भक्त का मन शुद्ध होता है और विचारों में स्थिरता आती है।
- इस मंत्र का उच्चारण करने से भक्त के जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का संचार होता है।
4. शिव ध्यान मंत्र:
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
- इस मंत्र का जाप ध्यान एवं सही उचारण से साथ करना चाहिए।
- इस मंत्र का उपगोय पीछे किए गए पापों की क्षमा मांगने के लिए किया जाता हैं।
- निरंतर इसके जाप से भक्त के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का अनुभव होता है।
5. एकादश रुद्र मंत्र:
ये मंत्र भगवान शिव के 11 रूपों के नामों को शमर्पित हैं।
- कपाली– “ॐ हुमूम सत्रस्तम्भनाय हूम हूम ॐ फट”
- पिंगला– “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं सर्व मंगलाय पिंगालय ॐ नमः”
- भीम– “ॐ ऐं ऐं मनो वंछिता सिद्धाये ऐं ऐं ॐ”
- विरुपक्ष– “ॐ रुद्राय रोगनशाय अगाच्छ च राम ॐ नमः”
- विलोहिता– “ॐ श्रीं ह्रीं सं सं ह्रीं श्रीं शंकरशनाय ॐ”
- शस्ता- “ॐ ह्रीं ह्रीं सफलायै सिद्धाये ॐ नमः”
- अजपाड़ा– “ॐ श्रीं बं सौं बलवर्धान्य बालेश्वराय रुद्राय फट् ॐ”
- अहिरभुदन्य- “ॐ ह्रं ह्रीं ह्रीं हं समस्थ ग्रह दोष विनाशाय ॐ”
- संभु– “ॐ गं ह्लौं श्रौं ग्लौं गं ॐ नमः”
- चंदा– “ॐ चुं चण्डीश्वराय तेजस्य चुं ॐ फट”
- भव– “ॐ भवोद भव संभव्या ईष्ट दर्शन ॐ सं ॐ नमः”
- इन नामों के जाप से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।
- एकादश रुद्र मंत्र के जाप से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-विकास की प्राप्ति होती है।
शिव मंत्र का जाप कैसे करें
- शिव मंत्रों का प्रयोग नियमित रूप से स्नान के बाद, साफ-सुथरे कपड़े पहनकर करें।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय शिव मंत्रों का जाप करना अत्यधिक फलदायी होता है।
- शिव मंत्रों का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सोमवार को इसे करने में विशेष महत्व होता है।
- सोमवार को भगवान शिव को समर्पित रखकर शिव मंत्रों का जाप करने से अधिक प्रभाव दिखाई देता है।
- मंत्र का जाप कम से कम 180 बार या उससे अधिक रोजाना करे।
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