सबरीमाला मंदिर भगवान अय्यपा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है। देवता अय्यपन भगवान शिव और माता मोहिनी के पुत्र है, इसीलिए अय्यपन को हरिहर पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का नाम रामायण काल की माता सबरी के नाम पर रखा गया है।
- सबरीमाला मंदिर केरल राज्य की राजधानी तिरुवंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर 18 पहाड़ियों के बीच स्थित है।
- सबरीमाला मंदिर प्रत्येक दिन नहीं खुलता है, यह मलयालम और तमिल कलेंडर अनुसार कुछ त्योहार और तिथि पर ही खुलते है।
- इस मंदिर में जाने के लिए भक्तो को 18 सीढ़ियों की चढ़ाई करना पड़ता है, तथा सभी सीढ़ियाँ मनुष्य से संबंधित है।
- इस मंदिर में दर्शन करने आने से कुछ दिन पहले भक्तो को माँस मदिरा का सेवन नहीं करना होता है।
- मान्यता है की इस मंदिर में अय्यपा स्वामी को चढ़ने वाले प्रसाद की पोटली को सिर पर रखकर, और तुलसी की माला पहनकर कर आने से मनोकामना पूर्ण होती है।
- प्रारंभ में इस मंदिर मे 10 वर्ष से 50 वर्ष की महिलाओ का मंदिर में प्रवेश मना था, परंतु माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसको रद्द कर दिया है।
- अब इस मंदिर सभी महिला पुरुष और और सभी जातियों के लोग दर्शन के लिए जा सकते है।
- मकर संक्रांति पर्व पर सबरीमाला मंदिर के पास एक दिव्य ज्योति जलती है।
- मान्यता है की यह दीपक स्वयं अयप्पा स्वामी जलाते है, जिसे देखने हर साल लाखों की संख्या में आते है।
- मकर संक्रांति पर रात्रि में जलती हुई ज्योति को मकर ज्योति कहा जाता है।
- मंदिर का निर्माण राजा राजशेखरा ने कराया था, मान्यता है की भगवान अयप्पा राजा को एक नदी के किनारे उनके बचपन में मिले थे।
जानिए सबरीमाला मंदिर किस तारीख को खुलेगा
सबरीमाला मंदिर मलयालम कैलंडर के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण त्योहार और तिथिओ पर खुलता है, क्यू की यह मंदिर घने जंगल में स्थित है, इसीलिए प्रतिदिन इसे भक्तो के लिए खुला रखना कठिन कार्य है।
मंदिर के 18 चरण
- शुरुआत की 5 सीढ़ी मनुष्य के इंद्रियों व उनपर नियंत्रण से स्मबंधित है।
- इसके बाद 8 सीढ़ी मनुष्यों के कर्मों से सकारात्मक नकारात्मक से संबंधित है।
- इसके आगे की 2 सीढ़िया आनुवंशिक जन्मजात गुण से संबंधित है।
- इसके बाद 2 सीढ़ी का संबंध ज्ञान व अज्ञानता से है।
समय | Timing
मंदिर सामान्य रूप से प्रातः काल सुबह 5:00 से रात्रि 10:00 तक खुला रहता है। परंतु यह मंदिर जंगल में होने के कारण किसी विशेष त्योहार की तिथि पर ही खुलता है।
सबरीमाला मंदिर किसने बनवाया था?
सबरीमाला मंदिर का निर्माण राजा राजशेखरा ने किया था। एक बार राजा नदी के किनारे बिहार करने गए तभी उन्हे वहाँ पर देव अयप्पा बाल स्वरूप में अकेले दिखे। राजा ने अकेला देख कर उन्हे अपने साथ महल ले आए और उनका पालन पोषण अपने बच्चे की तरह करने लगे। समय बितता गया और वह युवा हो गए।
एक बार राजा राजशेखरा की पत्नी ने अयप्पा से उनकी बीमार होने की बात का बहाना किया और उनसे बोला की वो तभी स्वस्थ हो सकती है, जब उन्हे एक शेरनी का दूध वह लाकर उन्हे देंगे।
माता की बात मानकर अयप्पा जंगल की तरफ चल दिए, शेरनी का दूध लेने। जंगल में पहुच कर उनका सामना एक राक्षसी से हुआ, परंतु अयप्पा ने उस राक्षसी का वध कर दिया। अयप्पा के वीरता देखकर इन्द्र देव समझ गए ये कोई सामान्य बालक नहीं है, और उन्होंने शेरनी को अयप्पा के साथ महल में जाने की आज्ञा दिया।
जब अयप्पा महल में शेरनी को लेकर आए तो सब यह देखर आश्चर्यचकित हो गए। कुछ दिन बीता और एक दिन अयप्पा घर नहीं लौटे। घर न आने से उनके पिता परेशान हो गए और उनकी याद में भूखे प्यासे रहने लगे।
परंतु अयप्पा को पिता की यह हालत देखि न गई, और उन्होंने स्वप्न में उन्हे दर्शन दिया और उन्हे एक मंदिर बनवाने को कहा।