पौष पूर्णिमा को धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को भगवान विष्णु की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है। श्रद्धालु इस दिन गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक अनुष्ठान
इस दिन भक्तगण विशेष प्रकार के अनुष्ठान और पूजा करते हैं। वे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं और फिर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ, तुलसी पूजन और भक्ति गीतों का आयोजन भी इस दिन किया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने अपने बाल मित्रों के साथ गोपाष्टमी का उत्सव मनाया था, जो उनकी लीलाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पौष पूर्णिमा 2025 | Paush Purnima 2025
पौष पूर्णिमा 2025 को 13 जनवरी दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान, भगवान विष्णु की पूजा और दान-पुण्य के कार्य विशेष महत्त्व रखते हैं। यह एक धार्मिक पर्व है।
माघ मेला | Magh Mela
पौष पूर्णिमा का एक और विशेष आकर्षण है माघ मेला। प्रयागराज में यह मेला बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पौष पूर्णिमा से माघ मेला आरंभ होता है और माघी पूर्णिमा तक चलता है। इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने आते हैं। माघ मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व अपार है और यह भारत के सबसे बड़े मेलों में से एक है।
पौष पूर्णिमा की कथा | Paush Purnima Ki Katha
पौष पूर्णिमा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा है जो धार्मिक पुस्तकों में वर्णित है। एक बार नारद मुनि ने भगवान विष्णु से पूछा कि इस दिन का महत्त्व क्या है। तब भगवान विष्णु ने बताया कि इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्त्व है। इस दिन गंगा स्नान और भगवान की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सांस्कृतिक महत्त्व
पौष पूर्णिमा का सांस्कृतिक महत्त्व भी कम नहीं है। इस दिन अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भजन-कीर्तन, नृत्य, नाटक आदि का आयोजन कर लोग इस पर्व को मनाते हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पौष पूर्णिमा के अवसर पर मेलों का आयोजन किया जाता है, जहाँ लोकनृत्य, लोकगीत और पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है।
दान-पुण्य का महत्त्व
पौष पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्त्व है। इस दिन लोग अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करते हैं। विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना इस दिन को और भी पुण्यकारी बनाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फलदायक होता है और इससे पापों का नाश होता है।