पापांकुशा एकादशी हिन्दू कलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पड़ती है। इस एकादशी में भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की आराधना की जाती है। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु आपकी सभी इच्छाये पूर्ण करते है। तथा आपकी सभी पीढ़ियों को पापों से मुक्ति मिल जाती है और सभी को बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।
पापाकुशा एकादशी 2024 | Papankusha Ekadashi 2024
साल 2024 मे पापांकुशा एकादशी 13 अक्टूबर दिन रविवार को पड़ रही है। तिथि का प्रारंभ 13 अक्टूबर को सुबह 09:8 मिनट पर होगा, और समाप्ति 14 अक्टूबर को सुबह 06:41 मिनट पर होगी।
महत्व
पौराणिक मान्यता अनुसार पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से सूर्य यज्ञ के समान फल मिलता है। पाप से मुक्ति मिलती है व श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा | Papankusha Ekadashi Vrat Katha
प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर एक बहेलिया निवास करता था। बहेलिया बहुत ही पापी और क्रूर था। वह प्रतिदिन पशुओ का शिकार करता और उन्हे मार देता था। जब उसके जीवन का अंतिम समय आया तो, यमराज ने बहेलिया को अपने दूत से संदेश भेजा “ अब तुमहरी मृत्यु जल्द होने वाली है, हम जल्द ही तुम्हें लेने आएंगे पृथ्वी पर।
यमराज का समाचार सुन कर बहेलिया डर गया, और वह जंगल में अंगिरा ऋषि के पास गया। अंगिरा ऋषि के पास जाते ही, उनके चरणों में बैठ गया और बोला ‘ मैंने जीवन भर भर पाप किया है दूसरों को कष्ट पहुचाया है, इसीलिए मुझे यमराज ने संदेश भेज है की वो मुझे जल्द ही लेने आएंगे’। प्रभु आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताए, जिसको करके मेरे पाप नष्ट हो जाए और मै स्वर्ग की प्राप्ति करू।
तब अंगिरा ऋषि ने कहा ‘तुम आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पापांकुशा एकादशी का व्रत व पूजा करो, भगवान विष्णु तुम पर अवश्य कृपा करेंगे।
अंगिरा ऋषि के कहेनुसार बहेलिये ने पापां कुशा एकादशी का व्रत किया। उसकी पूजा आराधना से भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और उसके सभी बुरे कर्मों को माफ कर दिया, उसे बैकुंठ धाम मिलता है।
जब उसे यमदेव पृथ्वी पर लेने आये तो, उन्होंने देखा बहेलिये के सभी पाप नष्ट है, और वह नरकभोगी नहीं है तो वह यमलोक लौट गए।
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