बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित हैं। बुधवार व्रत आरती का पाठ करने से व्रती को समृद्धि, सुख, और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
- आरती के बाद, व्रती गणेश जी के चरणों में अपने मन की शुद्धि को अर्पित करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं।
- इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा के बाद, व्रती विशेष प्रकार के आहार का सेवन करते हैं जैसे कि मूंग की दाल, चने की दाल, खीर, और मिष्ठान।
- बुधवार के इस व्रत को विधिवत रूप से पूरा करने से व्रती को बुद्धि, विवेक, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
बुधवार व्रत आरती | Budhwar Vrat katha
आरती युगल किशोर की कीजै । तन मन धन न्योछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै । हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥
आरती युगल किशोर..
रवि शशि कोटि बदन की शोभा । ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥
ओढ़े नील पीत पट सारी । कुंज बिहारी गिरिवरधारी॥
आरती युगल किशोर..
फूलन सेज फूल की माला । रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥
कंचन थार कपूर की बाती । हरि आए निर्मल भई छाती ॥
आरती युगल किशोर..
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी । आरती करें सकल नर नारी ॥
नंदनंदन बृजभान किशोरी | परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥
आरती युगल किशोर..
आरती के लाभ
- बुधवार के दिन इस के पाठ करने से मन की शांति और आत्मिक संतुलन की प्राप्ति होती है।
- आरती के दौरान ध्यान व साधना का प्रयास किया जाता है, जिससे मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
- देवी-देवताओं के प्रति आराधना करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।
- बुधवार व्रत आरती का पाठ करते समय भक्ति और समर्पण की भावना से हृदय में स्थिरता और संवेदनशीलता की भावना उत्पन्न होती है।
- आरती के ध्वनि सुनने से मन में संगीत और समाधान की भावना उत्पन्न होती है, जो मानसिक तनाव को कम करता है।