मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु के मदुरै में स्थित, माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है। इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण 1623 से 1665 के बीच हुआ था और यह स्थान मीनाक्षी (पार्वती) की जन्मस्थली मानी जाती है, जहां भगवान शिव सुडदेश्वर रूप में उनसे विवाह करने आए थे।
- तमिलनाडु में स्थित यह मंदिर मीनाक्षी सुदेश्वर या मीनाक्षी मंदिर नाम जाना जाता है।
- माता पार्वती का ही एक स्वरूप है मीनाक्षी व भगवान शिव का स्वरूप है सुदेश्वर।
- तमिल भाषा में मीनाक्षी विवाह को ‘मीनाक्षी थिरुकल्याणम’ कहा जाता है।
- वर्तमान में स्थित मीनाक्षी मंदिर का अधिकांश भाग 14 वी शताब्दी के बाद का है।
- यह मंदिर 14 एकड़ में फैला है, तथा इसमे 1000 स्तम्भ बनाए है।
- सभी खंभों तथा मुख्य द्वार पर देवी- देवताओ की छवि उकेरी गई है।
- हर साल मीनाक्षी मंदिर में अप्रैल माह में मीनाक्षी व सुदेश्वर का विवाह किया जाता है।
- इस मंदिर की संरचना में समय-समय पर अनेक परिवर्तन व पुनर्निर्माण किए गए है।
- मीनाक्षी मंदिर का गर्भगृह लगभग 3500 वर्ष पुराना माना गया है।
- सर्वप्रथम इस मंदिर में परिवर्तन 1560 में मदुरै के राजा विश्वनाथ ने किया।
- इस मंदिर को अलाउद्दीन खिलजी का गुलाम सेनापति मालिक काफ़ुर ने 1310 में सुदेश्वर और मीनाक्षी मंदिर को छोड़कर सभी को तोड़वा दिया।
- वर्तमान में इस मंदिर का प्रशासन तमिलनाडु सरकार द्वारा हिन्दू धार्मिक विभाग द्वारा किया जाता है।
समय | Timing
मीनाक्षी मंदिर प्रतिदिन दर्शन के लिए सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम को 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है।
इतिहास | History
पौराणिक मान्यता है कि मदुरै के मीनाक्षी मंदिर का निर्माण इन्द्र द्वारा किया गया था, जिन्होंने यहां आकर अपने पापों का प्रायश्चित किया।
इसके अतिरिक्त, एक अन्य कथा के अनुसार, माता पार्वती ने मीनाक्षी का रूप धारण कर पृथ्वी पर राजा मदुरै की तपस्या से प्रसन्न होकर यहां जन्म लिया था। मीनाक्षी (पार्वती) भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं, इसलिए भगवान शिव ने सुदेश्वर का रूप धारण कर माता पार्वती से विवाह करने के लिए यहां आए थे।
जानिए मीनाक्षी मंदिर किसने बनवाया था? | Janiye Meenakshi Mandir Kisne banwaya tha?
मीनाक्षी मंदिर का निर्माण पाण्ड्य सम्राट सदायवर्मन कुलशेखरन प्रथम ने किया था, लेकिन 14वीं शताब्दी में मुगल शासक द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया गया। इसका पुनर्निर्माण 1595 में कृष्णप्पार ने कराया था, और 17वीं शताब्दी में तिरुमाला नायक ने फिर से इसका पुनर्निर्माण किया। इस मंदिर के परिसर में 4 मंजिला, 7 मंजिला, 5 मंजिला, और 2 मंजिला गोपुरम हैं, और इसके गर्भगृह सोने से बने हुए हैं।
तमिल कैलेंडर के अनुसार मीनाक्षी विवाह (तमिल में मीनाक्षी थिरुकल्यानंम) के समय, 10 दिनों में लगभग 10 से 12 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। वर्तमान मंदिर का इतिहास 14वीं शताब्दी के बाद का है। 1310 में मालिक काफूर ने इस मंदिर को लूटा और मीनाक्षी मंदिर को छोड़कर सभी मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था। कालांतर में, विभिन्न भारतीय शासकों ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया और इसकी संरचना में भी परिवर्तन किया।