दिलवाड़ा मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित पाँच मंदिरों का एक समूह है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान तेजपाल और वस्तूपाल नामक दो भाइयों ने कराया था। यह मंदिर माउंट आबू से मात्र 2.5 किलोमीटर दूर स्थित है।
यह मंदिर जैन धर्म की श्वेतांबर शाखा का अत्यंत पूजनीय स्थल है। यह मंदिर अपनी संगमरमर वास्तुकला और जटिल पत्थर की नक्काशी के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। दिलवाड़ा के पाँच प्रसिद्ध मंदिर हैं – विमल वसाही, लूना वसाही, पितलहार मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, महावीर मंदिर। इन सभी मंदिरों में विमल वसाही और लूना वसाही सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं।
दिलवाड़ा का विमल वसाही मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर को समर्पित है। लूना वसाही जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित है। इसके अलावा, पितलहार मंदिर जैन धर्म के आदिनाथ को समर्पित है। पार्श्वनाथ मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर को समर्पित है और महावीर स्वामी मंदिर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर को समर्पित है।
इन पाँचों मंदिरों में प्रत्येक में 48 स्तंभ हैं, और नृत्य करती हुई नृत्यांगनाओं की मूर्तियाँ दिखायी गई हैं। इन मंदिरों को समय-समय पर शासकों द्वारा ध्वस्त किया गया और पुनर्निर्माण भी किया गया। 1311 में अलाउद्दीन ने इन मंदिरों को तोड़वा दिया था, परंतु कुछ समय बाद 1321 में ललांग और बीजांग ने इसका पुनर्निर्माण कराया। वर्तमान में इस दिलवाड़ा जैन मंदिर का प्रशासन श्री कल्याणजी परमानन्दजी द्वारा किया जाता है। यहाँ दर्शन और पूजा की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
दर्शन का समय | Dilwara Temple Timing
दिलवाड़ा जैन मंदिर में पूजा और दर्शन के लिए सुबह 8:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक जा सकते हैं। परंतु पर्यटन के लिए सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक यहाँ जा सकते हैं।
मंदिर का इतिहास | Dilwara Temple History
दिलवाड़ा के जैन मंदिर का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी में हुआ था। यह पाँच मंदिरों का समूह है और सभी मंदिरों में विमल वसाही मंदिर सबसे पुराना है। इन सभी मंदिरों का निर्माण सफेद संगमरमर से हुआ है। कई शासकों द्वारा इन मंदिरों को ध्वस्त किया गया, परंतु कई हिंदू शासकों द्वारा इनका पुनर्निर्माण भी किया गया। वर्तमान में इन मंदिरों का प्रशासन और संचालन सेठ कल्याणजी परमानन्दजी द्वारा किया जाता है।
जैन धर्म के पाँच प्रसिद्ध मंदिर
- विमल वसाही मंदिर
- लूना वसाही
- पितलहार मंदिर
- पार्श्वनाथ मंदिर
- महावीर स्वामी मंदिर