महालय अमावस्या हिन्दू धर्म में प्रचलित पूर्वजों या पुरखों को समर्पित एक प्राचीन परंपरा है, जिसमे इस दिन पर सभी व्यक्ति अपने पूर्वजों का श्राद्ध अनुष्ठान करते है।
मान्यता है, की कोई भी व्यक्ति अगर 15 दिन के अनादर अपने पूर्वजों का श्राद्ध किसी कारण या भूलवश नहीं कर पाता है तो इस दिन पर वह श्राद्ध कर सकता है, जिससे उसके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
- महालय अमावस्या हर साल भाद्रपद माह (अगस्त – सितंबर) माह में मनाया जाता है।
- महालय अमावस्या को पितृविसर्जन अमावस्या, पितृ मोक्ष अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या नाम से जाना जाता है।
- महालय अमावस्या 15 दिन के बीच चलने वाले श्राद्ध का आखिरी दिन होता है।
- इस दिन पर जो भी व्यक्ति श्राद्ध नहीं करता है, उसे पितृ दोष लगता है।
- तथा उसके पूर्वज नाराज होकर चले जाते है और श्राप देते है।
- इस दिन पितृ का श्राद्ध कर गौपूजा, ब्राह्मणों को दान, गरीबों को दान देना चाहिए।
- महालय अमावस्या के दिन सोना खरीदना, कोई शुभ कार्य, बाल नहीं कटवाना चाहिए।
जानिए कब हैं महालय अमावस्या 2024 मे ? | Mahalaya Amavasya 2024
महालय अमावस्या वर्ष 2024 में 2 अक्टूबर दिन बुधवार को पड़ेगा। इस महालय अमावस्या तिथि का आरंभ 1 अक्टूबर की रात्रि 9:39 मिनट पर होगा, तथा समाप्ति 3 अक्टूबर 2024 को रात्रि 12:18 मिनट पर होगा।
महालय अमावस्या की कथा | Mahalaya Amavasya katha
पौराणिक कथाओ के अनुसार जब महाभारत युद्ध में जब कर्ण की मृत्यु हुई तो उसकी आत्मा स्वर्ग पहुची। वहाँ पर कर्ण को भोजन में सोना चांदी व आभूषण पेश किए जाते थे। तब कर्ण परेशान होकर यमदेव के पास गए और उनसे पूछा की भोजन में उन्हे सोना चांदी क्यू दिया जा रहा है।
तब यमदेव ने कहा ‘कर्ण तुमने अपने जीवन में सोना चंडी दान किया है, परंतु कभी भी अपने पूर्वजों को का श्राद्ध व दान नहीं किया इसीलिए जो किया है दान वही मिलेगा यहाँ पर’ तब कर्ण ने यमराज से पृथ्वी पर अपने पित्रों का श्राद्ध करने की 15 दिनों के लिए जाने का अग्राह किया।
यमराज ने 15 दिनों के लिए कर्ण को पृथ्वी पर भेज दिया। कर्ण पृथ्वी पर जाकर अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया और पुनः स्वर्ग लौट आए। अब उन्हे अब अपने दान और श्राद्ध का फल उनके मन मुताबिक मिलने लगा, स्वर्ग लोक में।