लोसर उत्सव तिब्बती बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे इस समुदाय द्वारा नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। प्रारंभ में इस पर्व को बसंत त्योहार के रूप में मनाया जाता है परंतु अब यह तिब्बती बौद्ध नववर्ष के रूप मनाया जाता है।
लोसर का शाब्दिक अर्थ है ‘नया साल’। यह त्योहार सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और मेल मिलाप का पर्व 2 सप्ताह तक मनाया जाता है।
- लोसर उत्सव तिब्बती कलेंडर के अनुसार चंद्र नववर्ष की शुरुआत है।
- लोसर पर्व एक तीन दिवसीय पर्व है जो लगभग 15 दिनों तक मनाया जाता है।
- लोसर पर्व के पहले दिन को ‘लामा लोसर’ कहते है इसमे सभी अपने घरों और स्थलों का सफाई करते है और एक सूप (गु थुक ) तथा एक बीयर (चांगकोई) को सभी लोगों बाँट दिया जाता है।
- लोसर उत्सव के दूसरे दिन को ‘ग्यालपो लोसर’ कहा जाता है इस दिन पर सभी मठों में जाते है और बौद्ध भिक्षुओ को दान कार्य किया जाता है।
- लोसर पर्व के तीसरे दिन को चोय कयोंग लोसर कहा जाता है। इस दिन पर सभी मिलकर अपने पुंजनीय की पूजा और उन्हे भोग प्रसाद चढ़ाते है।
- इस 3 दिनों के बाद आने वाले 12 दिनों तक इस पर्व को अपने दोस्तों, रिस्तेदार के साथ मनाया जाता है।
- इस पर सभी अपने दोस्तों परिवार और रिस्तेदारों को लोसर उत्सव की बधाई लोसार ताशी डेलेक कह कर देते है।
- लोसर उत्सव के त्योहार के आखिरी दिन पर अनुष्ठान कार्य किया जाता है।
- तिब्बती बौद्ध समुदाय लोसर पर्व से संबंधित 8 पर्व महत्वपूर्ण प्रतीक है।
- 8 महत्वपूर्ण प्रतीक के नाम इस प्रकार है – कलश, क्षत्र, सुनहरी मछली, शंख, कमल का फूल, झण्डा, चक्र।
लोसर उत्सव किस राज्य में मनाया जाता है? | Losar utsav kis rajya mein manaya jata hai?
यह उत्सव भारत के कई राज्यों में जैसे लद्दाख, अरुणांचाल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, नागालैंड, में मनाया जाता है इसके आलवा भारत की बाहर अनेक देशों नेपाल, तिब्बत, भूटान जैसे देशों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।
लोसर उत्सव अरुणांचल प्रदेश | Losar utsav Arunachal pradesh
- लोसर उत्सव को अरुणांचाल प्रदेश में फरवरी से मार्च माह में मनाया जाता है।
- सर्वप्रथम अरुणांचल प्रदेश में इस पर्व को कृषि उत्सव के रूप में मनाया जाता था।
- परंतु अब इसे पर्व को बौद्ध उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- इस पर्व को यहाँ पर लगभग 2 सप्ताह या 15 दिन दिनों तक धूम धाम से मनाया जाता है।
- अरुणांचल प्रदेश में लोसर पर्व के अतिरित अनेक सोलुङ उत्सव, ड्री उत्सव, चलो लोकू उत्सव धूम धाम से मनाया जाता है।