केतु ग्रह एक स्वरभानु नामक दानव का निचला हिस्सा या धड़ है। समुन्द्र मंथन के समय, राहू-केतु ने चालाकी से अमृत पीने की कोशिश करने पर, श्री हरि विष्णु जी ने इनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। तभी से केतु एक बगैर सिर का दानव कहलाता है और अपने पापी स्वभाव व लोगों को कष्ट देने के लिए जाना जाता है।
इसको एक पापी या बुरे ग्रह कहा जाता है, जब भी यह किसी भी राशि में प्रवेश करता है, उस राशि के जातक की ज़िंदगी में उथल-पुथल शुरू हो जाती है।
केतु के दोष | Ketu ke Dosh
सामन्य तौर पर केतु जब भी किसी राशि पर महादशा या अंतर्दशा के रूप में गोचर करता है, तो वह जातक के जीवन में नकरात्मक प्रभाव डालता है व उसे शारीरिक और मानसिक रूप से कष्ट देता है। केतु के इसी अशुभ प्रभाव को केतु के दोष के रूप में जाना जाता है।
केतु की महादशा | Ketu ki Mahadasha
केतु की महादशा शनि की साढ़े साती की तरह 7 वर्ष तक होती है। महादशा में केतु जिस भी राशि पर अशुभ प्रभाव डालेंगे उस जातक का मन अध्यात्म से दूर तथा उसे आर्थिक, वित्तीय, व्यापारिक, मानसिक, स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव देखने को मिलता है।
- केतु ग्रह की अंतरदशा 11 माह से सवा साल तक, तथा महादशा 7 वर्ष तक जातक को प्रभावित करती है।
केतु के लक्षण | Ketu ke Lakshan
केतु ग्रह के लगने पर जातक पर इस प्रकार के अनेक लक्षण दिखाई देंते है
- परिवार के सभी सदस्यों में मनमुटाव और वित्तीय समस्या आने लगती है।
- व्यापार में हानी आरंभ होने लगती है, और सिर दर्द तनाव होने लगता है।
- अधिकतर समय बच्चों की तबीयत खराब व खासी, बुखार, जुकाम रहता है
- केतु की अशुभ प्रभाव से जातक अध्याम से दूर होने लगता है।
- जातक में आत्मविश्वास में कमी आने लगती है। ।
- जातक अशुभ प्रभाव से दूसरों के साथ धोखाधड़ी, दूसरों को लूटना, चोरी, गलत कार्यों को करने लगता है।
- केतु के प्रभाव से बाल टूटने व झड़ने शुरू हो जाते है।
- परिवार के बड़े बुजुर्ग शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान दिखते है।
- मानसिक विकृति जैसे समस्या देखने को मिलती है।
- पैरों में दर्द व सूजन, हर्निया, शुगर की समस्या, कुत्ते का काटना आदि समस्या देखने को मिलती है।
- जातक को केतु के प्रभाव से आँखों में दर्द, और सर दर्द होता है।
केतु ग्रह के उपाय | Ketu Ke Upay
- लोहे की वस्तु, कंबल, गरम कपड़े दान देने से केतु ग्रह से राहत मिलती है।
- काले और सफेद रंग के कुत्तों को अनाज खिलाना चाहिए।
- इसके अलावा केतु का “लहसुनिया” भी धारण किया जाता है, इससे केतु शांत होते है।
- इसके आलवा आप रविवार व बुधवार के दिन केतु की पूजा और व्रत कर सकते है।
- भगवान श्री हरि की नाग पर नृत्य की अवस्था की फोटो या प्रतिमा की पूजा करे।
- श्री हरि की पूजा के समय ॐ नमो वसुदेवाय नमः मंत्र का अवश्य जाप जाप करे।
- श्रीकलाहस्ती में केतू शांति की पूजा कराने से शांति होती है।
- केतु ग्रह के उपाय में व्यक्ति को
श्री कलाहस्ती केतु पूजा समय | Shri kalahasti Ketu Pooja Time
- श्री कलाहस्ती पूजा मंदिर में केतु राहू की पूजा प्रातः काल सुबह 6:30 बजे से शाम 8:30 तक अलग-अलग बैच में कराई जाती है।
- सभी बैच के पुजा का समय 1 घंटा तथा मूल्य अलग-अलग होता है।
- केतु की पूजा का प्रारम्भिक मूल्य 150 से शुरू है, इसके बाद 300, 700, 1500, 5000 तक प्रत्येक बैच में वृद्धि होती है।
- राहू केतू की पूजा के लिए रविवार, अमावस्या, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, पूर्णिमा को करवाना उत्तम रहता है।
- भारत में स्थित श्री कलाहस्ती मंदिर में राहू केतु की पूजा करने से केतु की महादशा का प्रभाव कम, तथा जिंदगी में सुख-शांति का प्रवेश होता है।
- केतु की पूजा महादशा से प्रभावित व्यक्ति को इस मंदिर में पूजा अवस्य करानी चाहिए।
- कलाहस्ती की पूजा करने से 6 माह तक इसका प्रभाव रहता है।