कामदा एकादशी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
कामदा एकादशी 2024
साल 2024 में कांमदा एकादशी 19 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को पद रही हैं। इस एकादशी तिथि का आरंभ 18 अप्रैल को शाम 05:31 मिनट पर शुरू होगी, और समाप्ति 19 अप्रैल की शाम को 08:04 मिनट पर होगी।
महत्व
मान्यता है की इस एकादशी का व्रत करने से 100 यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है।भगवान विष्णु माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। आपके भूल से हुए पाप माफ हो जाते है, और बैकुंठ धाम प्राप्त होता है।
कामदा एकादशी कथा | Kamada Ekadashi Katha
पौराणिक कथा के अनुसार भोगीपुर नामक राज्य में पुण्डरीक नामक राजा राज करता था। राज्य में बहुत ही समृद्धि से भरा था। इसी राज्य में ललित और ललिता नामक पति पत्नी रहते थे। ललित एक गायक था और पत्नी से बहुत प्रेम करता था।
एक बार ललित पुण्डरीक के महल में सभी के साथ गायन कर रहा था, तभी उसे अपने पत्नी की याद आ गई, और उसका स्वर भंग हो गया। ललित का स्वर भँगे होने की बात एक नाग ने राजा से कह दी।
राजा ने ललित को क्रोध से कहा ‘तुमने मेरे सामने गाने के समय अपने पत्नी को याद कर स्वर भँगे कर दिया, मै तुझे श्राप देता हु तू अभी एक राक्षस बन जाएगा और के सभी का माँस खाएगा। राजा के श्राप देते ही ललित एक राक्षस बन गया।
यह समाचार जब उसकी पत्नी ललिता को लगा, तो वह अपने पति के पीछे – पीछे जाने लगी, ललित जहां जाता वो उसके साथ जाती। एक बार ललित जंगल में जा रहा था, ललिता भी उसके पीछे गई तभी उसकी नजर एक ऋषि के ऊपर गई।
ऋषि को देखते ही ललिता उनके पास गई, और अपने पति के पुण्डरीक के श्राप के कारण राक्षस बनने की घटना बताई। ललिता की बात सुनकर ऋषि ने उसे कहा “तुम चैत्र माह के कामदा एकादशी का व्रत रखो, और अपने व्रत का फल अपने अपने पति को दे देना,” भगवान विष्णु अवश्य तुम्हरे पति को ठीक कर देंगे।
ललिता ने ऐसा ही किया और अपना व्रत का फल अपने पति ललित को दे दिया। भगवान विष्णु की कृपया से ललित पूरी तरह से राक्षस योनि से मुक्त हो गया। जीवन के अंत में दोनों पति पत्नी को बैकुंठ धाम मिलता है।