जयपुर शहर में स्थित गढ़ गणेश मंदिर एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है। इसका निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने जयपुर की स्थापना के समय कराया था। ऐसा माना जाता है कि जब जयपुर की आधारशिला रखी जा रही थी, तब अश्वमेघ यज्ञ के दौरान सबसे पहले गणेश जी का पूजन हुई और बाद में इस मंदिर का निर्माण किया गया।
गढ़ गणेश मंदिर में भगवान गणेश की बालस्वरूप में पूजा की जाती है, और यह भारत के उन दुर्लभ मंदिरों में से एक है जहाँ गणेश जी की प्रतिमा बिना सूंड के स्थापित है।
गढ़ गणेश मंदिर का महत्व और इतिहास
गढ़ गणेश मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है। यह मंदिर जयपुर के राजा-महाराजाओं की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा हुआ करता था। कहा जाता है कि सिटी पैलेस के गोविंद देव जी मंदिर से राजा दूरबीन के माध्यम से गढ़ गणेश जी के दर्शन करते थे और दिन की शुरुआत करते थे। यह मंदिर लगभग 450 साल पुराना है और अपनी अनोखी गणेश प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर परिसर में दो पत्थर के मूषक स्थापित हैं। मान्यता है कि भक्त इन मूषकों के कान में अपनी इच्छाएं बताते हैं, और ये मूषक गणेश जी तक उनकी इच्छाओं को पहुंचाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि गढ़ गणेश जी से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।
गढ़ गणेश मंदिर की वास्तुकला
गढ़ गणेश मंदिर पहाड़ी पर स्थित है, और यहां तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां बनी हुई हैं, जो साल के हर दिन को दर्शाती हैं। सीढ़ियां चढ़ने के बाद, यहां से जयपुर शहर का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है। एक तरफ नाहरगढ़ किला, दूसरी तरफ जलमहल और पूरे शहर की बसावट इस स्थान से स्पष्ट नजर आती है। बारिश के मौसम में यहां की हरियाली और ठंडी हवा भक्तों को एक अलग ही शांति का अनुभव कराती है।
गढ़ गणेश मंदिर में दर्शन का समय
मंदिर के दर्शन का समय प्रातः 7:00 बजे से 12:00 बजे तक और संध्या 4:00 बजे से 9:00 बजे तक है। विशेष रूप से बुधवार और गणेश चतुर्थी के समय यहां भक्तों की भीड़ अधिक होती है।