ऐसा माना जाता है की श्री हरि विष्णु ने जनकल्याण के लिए माता एकादशी को अपने शरीर से उत्पन्न किया था। जिन्होंने बहादूरी से राक्षस मूर को मारा था। तभी से माता एकादशी का व्रत रखा जाता है।
- शास्त्रों में माना गया है, श्री हरि विष्णु ने एकादशी को स्वयं के समान ही बलशाली एवम ताकतवर बताया है।
- इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु एवम माँ लक्ष्मी के भव्य स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है ।
- एकादशी व्रत महीने में 2 बार आता है एवम एकादशी व्रत अलग अलग प्रकार से रखा जाता है।
- ऐसा माना जाता है की अगर आप एकादशी का व्रत करते है तो हवन यज्ञ वैदिक कर्मकांड से भी आपको अधिक लाभ प्राप्त होता है ।
- प्रथेक एकादशी का अपना एक विशिस्ट नाम महत्व ओर नियम होता है ।
- शस्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत भीम ने रखा था जिससे उन्हे 24 एकादशी का फल प्राप्त हुआ था।
- ऐसा माना जाता है की अगर आप एकादशी का व्रत करते है तो हवन यज्ञ वैदिक कर्मकांड से भी आपको अधिक लाभ प्राप्त होता है ।
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एकादशी व्रत की पूजा विधि
- एकादशी व्रत करने के लिए सर्वप्रथम आपको प्रातः काल उठकर गंगा नदी में या फिर घर पर ही गंगाजल को नहाने के पानी में मिलाकर नहाना है इसके उपरांत आपको स्वच्छ कपड़े धारण करने है ।
- इसके बाद आपको घर के मंदिर में जा कर श्री हरी विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करे एवम पुष्प अवम तुलसी अर्पित करे तथा घर में दीपक जलाए।
- इस पावन दिन में माता लक्ष्मी की पूजा भी साथ में करे ।
- भगवान विष्णु को पीली मिठाई को भोग लगाए क्यू की भगवान विष्णु को पीला रंग अतिप्रिय माना जाता है ।
- एकादशी माता की कथा सुने एवम आरती जरूर करे ।
- उस दिन पीपल में पेड़ में जल देना बहुत ही शुभ माना जाता है ।
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एकादशी व्रत में खाना खाने के नियम
निर्जला एकादशी कैसे करे।
- निर्जला व्रत में सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच जल ग्रहण कर सकते है। उसके पश्चात बिना पानी पिए ही रहा जाता है।
- इस व्रत मे कुछ भी खाना वर्जित माना गया हैं।
अन्य एकादशी व्रत।
- एकादशी व्रत के दौरान किसी भी फल का सेवन कर सकते हैं।
- इस व्रत में आप आलू ,चीनी, शकरकंद, काली मिर्च, सेध नमक, बादाम एवं दूध का प्रयोग कर सकते है।
- व्रत के दिन भक्त को दही, साबूदाना और तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए।
एकादशी व्रत की समापन की विधि
- एकादशी व्रत का समापन आपको द्वादशी यानि की अगले दिन करनी होती है यह सुबह सूर्योदय के पश्चात शुभ मुहूर्त में करते है।
- जैसे की हर व्रत में भगवान को चढ़े प्रसाद को खा कर ही व्रत का समापन करते है वैसे ही इस व्रत मे भी आप पूजा का प्रसाद खा कर ही पारण करे।
- व्रत का पारण आप चावल खा कर कभी न करे और एकादशी के दिन भी आप चावल से परहेज करे।
- व्रत का पारण करने के लिए दूध चीनी, साबूदाना, शकरकंद, काली मिर्च, व्रत का नामक ,बादाम इत्यादि पदार्थों का प्रयोग मे ला सकते है।
- इस व्रत का पारण आपको शुभ मुहूर्त में करना चाहिए क्यू की किसी भी व्रत या उपवास के फल की प्राप्ति तभी मिलेगी जब आप उसे सही तरीके से करते है।
एकादशी व्रत करने का नियम।
- एकादशी व्रत को करने के लिए कुछ नियम है जिन्हे जिनका पालन करना अनिवार्य है ।
- इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले यानि की दशमी को ही मादक पदार्थों एवम प्याज, लहसून, मसूर की दाल, शहद आदि चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- व्रत करने वाले व्यक्ति का मन किसी भी प्रकार के लालच ओर भोगविलाश से लिप्त नहीं होना चाहिए ।
- इस दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।
- एकादशी के दिन घर पर सफाई करनी चाहिए लेकिन एस बात का ध्यान रहे की इससे किसी भी छोटे जीव को कष्ट न हो जैसे की चीटी आदि।
- व्रत करने वाले का तन एवम मन दोनों ही साफ होना चाहिए।
एकादशी व्रत कब है 2024
एकादशी व्रत फ़रवरी 2024
6 फ़रवरी
20 फ़रवरी
एकादशी व्रत मार्च 2024
7 मार्च
20 मार्च
एकादशी व्रत अप्रैल 2024
5 अप्रैल ला
19 अप्रैल
एकादशी व्रत कौन कर सकता है
इस व्रत को विधि ओर नियम अनुसार कोई भी कर सकता हैं, महिला, पुरुष, बच्चे और बूढ़े सभी व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है।
एकादशी व्रत के लाभ
जो भी व्यक्ति या मनुष्य एकादशी का व्रत करता है उसकी सारी दुख तकलीफ परेशनीय एवम पाप का नाश होता है।
- एकादशी का व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है
- इस के व्रत से धन संपदा मान सम्मान की प्राप्ति होती है ।
- इस व्रत को करने से जीवन की समस्याए समाप्त होती है ।
- यह आध्यात्मिक व्रत करने से, श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है ।
- इससे मन ओर आत्मा की शुद्धि होती हैं।