एकादशी माता की आरती का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत के अवसर पर बड़े भक्तिभाव से गाई जाती है। यह आरती एकादशी माता, भगवान विष्णु की एक विशेष साकार रूपिणी को समर्पित है।
- एकादशी माँ, एक अद्वितीय देवी हैं जो भगवान विष्णु की एक रूपिणी हैं।
- यह भगवान विष्णु के शरीरसे उत्पन्न हुई थी।
- एकादशी माँ की पूजा में विशेष रूप से तुलसी के पत्ते, फल, और पुष्पों का उपयोग किया जाता है।
- इस दिन भक्तों को अध्यात्मिक साधना, ध्यान, और दान करना चाहिए।
- इस आरती के पाठ से भक्त को विद्या और ज्ञान का वरदान प्राप्त होता है।
- इनकी भक्ति से स्वास्थ्य अच्छा रहने लगता हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है।
।। एकादशी माता की आरती।। (Ekadashi Mata Ki Aarti in hindi)
ॐ जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।।
ॐ जय एकादशी माता।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।।
ॐ जय एकादशी माता।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।।
ॐ जय एकादशी माता।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।।
ॐ जय एकादशी माता।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।।
ॐ जय एकादशी माता।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी।।
ॐ जय एकादशी माता।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी माता।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी माता।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी माता।।
एकादशी माता की आरती के लाभ।
- इस आरती के पाठ से व्यक्ति के मन में शांति और सुकून का अहसास होता है, जो दिनचर्या में उत्साह और समर्थन प्रदान करता है।
- हिन्दू धर्म मे माना जाता हैं , हर माह एकादशी व्रत रखने से भक्तों के कष्ट और दुःखों का नाश होता है।
- आरती के शब्द भक्तों को धार्मिक ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं, जिससे वे अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं।
- एकादशी माता की आरती से भक्तों को कर्मयोगी बनाने में सहायता मिलती है, जिससे वे कर्मों में निष्ठा बनाए रख सकते हैं।
- आरती के सुखद ध्वनियाँ और शब्द भक्त को आधुनिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
- आरती के गाने से भक्त को सामाजिक सेवा में योगदान करने की भावना प्राप्त होती है।