दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर केवल एक वास्तुशिल्प संरचना है और यह इतिहास, भक्ति, आध्यात्मिक जागरण और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है।
इतिहास | Dakshineswar kali temple history
साल 1847 में, रानी रासमणि, जो एक संपन्न दानशीलता और देवी काली की भक्त थीं, ने वाराणसी की यात्रा करने की योजना बनाई। किंवदंती के अनुसार, उन्होंने देवी काली का सपना देखा, जिसमें देवी ने उन्हें गंगा के तट पर एक मंदिर बनाने का आदेश दिया। इस दिव्य दृष्टि से प्रेरित होकर, रानी रासमणि ने मंदिर निर्माण के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण 1843 में शुरू हुआ और 1855 में पूरा हुआ। यह विशाल मंदिर परिसर 20 एकड़ में फैला हुआ है और रानी रासमणि की अडिग आस्था और उदारता का प्रमाण है। मुख्य आकर्षण नौ-शिखर (नवरत्न) काली मंदिर है, जो बांग्ला मंदिर वास्तुकला की आत्मा को समेटे हुए एक भव्य संरचना है। लाल और क्रीम बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर 100 फीट से अधिक ऊँचा है, इसके नौ शिखर आकाश की ओर हैं, जैसे आकाशीय अंगुलियाँ।
घूमने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Visit
दक्षिणेश्वर काली मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और माँ काली के दर्शन के साथ-साथ नदी के किनारे की खूबसूरती का भी आनंद लिया जा सकता है। विशेष रूप से, दुर्गा पूजा के दौरान यहाँ की भव्यता देखते ही बनती है।
मंदिर खुलने का समय | Dakshineswar kali temple Timing
दक्षिणेश्वर काली मंदिर दर्शन के लिए प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से रात 10:30 बजे तक खुला रहता है। पूजा और आरती के विशेष समय होते हैं: सुबह की आरती 5:30 बजे होती है, दोपहर की पूजा 12:00 बजे, और शाम की आरती 7:00 बजे होती है।
निष्कर्ष
दक्षिणेश्वर काली मंदिर में माँ काली के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है। यहाँ की आध्यात्मिकता और शांतिपूर्ण वातावरण भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।