सप्ताह का ब्रहस्पतिवार दिन ब्रहस्पति देव जी को समर्पित होता है। ब्रहस्पति देव भगवान विष्णु जी का एक रूप हैं, इस दिन उनकी की आरती का पाठ करने से बुद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है। श्री ब्रहस्पति देव की पूजा पीली वस्तुओ, पीले फूल से की जाती है।
ब्रहस्पति देव की आरती | Brihaspati Dev Ki Aarti
जय बृहस्पति देवा ओम जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
चरणामृत निज निर्मल,सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,कृपा करो भर्ता ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
तन, मन, धन अर्पण कर,जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,आकर द्घार खड़े ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
दीनदयाल दयानिधि,भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,भव बंधन हारी ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
सकल मनोरथ दायक,सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ,संतन सुखकारी ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
जो कोई आरती तेरी,प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,सो निश्चय पावे ॥
जय बृहस्पति देवा ओम…
ब्रहस्पति देव की आरती लाभ | Brihaspati Dev Ki Aarti Ke labh
- यह आरती करने के बाद पूजा पूर्ण होती है, और आशीर्वाद मिलता है।
- भगवान विष्णु की कृपा से सभी कष्ट दूर हो जाते है।
- घर धन धान्य से भरा रहता हैं और मनोवांचित्त फल की प्राप्ति होती है।