आमलकी एकादशी में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से सारे कष्ट का नाश तथा आपकी सारी मनोकामनाए पूर्ण होती है।
- आमलकी एकादशी की पूजा आंवले के वृक्ष के नीचे करना, और शुभ माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है, की आमलकी एकादशी व्रत करने से, व्यक्ति को सैकड़ों तीर्थों, और हजारों यज्ञों का फल मिलता है।
- इस दिन किसी भी व्यक्ति का अपमान या निंदा नहीं करनी चाहिये, पूरे दिन भगवान का व दान धर्म का कार्य करना चाहिए।
- आमलकी एकदशी के दिन आंवला से बनी हुई, खाद्य सामग्री का प्रयोग करना चाहिए।
आमलकी एकादशी 2024 मे कब हैं
इस बार वर्ष 2024 में आमलकी एकादशी 20 मार्च 2024 को है। एकादशी तिथि का आरंभ 20 मार्च 2024 को सुबह 12:21 से होगा, जो अगले दिन 21 मार्च 2024 को 2 बजे तक रहेगा। आमलकी एकादशी के पूजा का मुहूर्त 20 मार्च को प्रातः काल 6:25 मिनट से लेकर 9:27 मिनट तक है।
आमलकी एकादशी की कथा
प्राचीन काल में वैदिक नामक नगर था, जिसमे चैत्ररथ नामक राजा राज्य करता था। राज्य में सभी नागरिक खुश थे, तथा भगवान विष्णु की आराधना, दान – धर्म किया करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल माह की एकादशी आई, और सभी लोगों ने एकादशी व्रत पूजा की, और रात को जगराता का आयोजन किया।
इसी रात को एक शिकारी बहेलिया, शिकार कर के भूख प्यासा लौट रहा था, और थक कर आकर बैठ गया और जागरण सुनने लगा। रात भर वही बैठ कर सुनता रहा, तथा सुबह उठकर अपने घर गया। घर जाकर स्नान आदि कर, भोजन ग्रहण कर सो गया।
बहेलिया एक पाप का कार्य करता था। वह प्रतिदिन पशु-पक्षियों को पकड़ता तथा उनको मारता था, इसीलिए सजा का हकदार था। लेकिन जागरण के दिन आमलकी एकादशी था, और उसने अनजाने में यह व्रत कर लिया था।
आमलकी एकादशी व्रत के कारण बच गया। और इस जन्म के उसके पाप माफ हो गए। समय बीतता रहा और कुछ दिन बाद बहेलिया का निधन हो गया। बहेलिया का अगला जन्म, एक प्रतापी राजा विदूरथ के यहां हुआ।
राजा विदूरथ ने उसका नाम वसूरथ रखा। वसूरथ भगवान विष्णु का भक्त था, हमेशा पुण्य कार्य, धर्म, कर्म को करता था। धीरे धीरे राजा विदूरथ वृद्ध हो रहे थे, इसीलिए उन्होंने अपना सिंहासन और उसका दयित्व वसूरथ को दे दिया।
एक दिन राजा वसुरथ जगल घूमने गया, और घूमते–घूमते वापस महल जाने का रास्ता भूल गया। जब वसूरथ को रास्ता नहीं मिला, तो वह थक कर पेड़ के नीचे सो गया। तभी कुछ हमलावरों ने उसपर हमला कर दिया लूटपाट करने के इरादे से।
राजा वसूरथ नींद में था, और हमलावरों ने उसपर हमला कर दिया। पर राजा विदूरथ पर किसी भी अस्त्र – शस्त्र का प्रभाव नहीं हो रहा था। हमलावरों को हमला और अधिक बढ़ गया तो राजा वसूरथ के शरीर से एक देवी प्रकट हुई, और उन्होंने सभी डाकुओ का नाश कर दिया।
जब राजा नींद से उठा तो उसने देखा, उसके आस पास काफी संख्या में लोग घायल और बेहोश पड़े है। राजा यह सोच ही रहा था की यह कैसे हुआ है, ये कौन लोग है, तथा इन्हे किसने मारा है?
राजा यह सोच ही रहा था, तभी आकाश से तीव्र ध्वनि आई “हे वसूरथ तुम पर ये लोग हमला कर तुम्हें लूट कर मारने आये थे, पर तुम्हारी पूजा और आराधना से भगवान विष्णु प्रसन्न है, और उन्होंने तुम्हारी रक्षा कर एक नया जीवनदान दिया है।
यह सुन वसूरथ भगवान विष्णु की जयजयकर करने लगा, और नगर में वापस पहुँच कर सभी को भगवान विष्णु की महिमा बताई।
जो भी व्यक्ति एक भी आमलकी एकादशी व्रत करता है, उसे जीवन की हर परीक्षा में सफलता और हिम्मत मिलती है।
लाभ
- भगवान विष्णु की कृपा से घर में सुख – शांति आएगी।
- घर में धन – धान्य की वर्षा होती है।
- आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है, मानसिक विकास होता है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- आपकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।