योगिनी एकादशी का वर्णन पद्म पुराण में मिलता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। खासकर, यह व्रत उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो रोगों और दुष्प्रभावों से मुक्ति पाना चाहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी व्रत कथा | Yogini Ekadashi Vrat katha
प्राचीन काल में अलकापुरी नामक नगर में कुबेर नाम के एक राजा का राज्य था, जो भगवान विष्णुजी का अनन्य भक्त था। विष्णुजी की पूजा के लिए हर दिन अपने राज्य से सुंदर फूल मंगवाते थे। इस कार्य के लिए उन्होंने हेम नामक एक सेवक नियुक्त किया था, जिसका कार्य था कि वह हर दिन फूल लेकर आए और राजा को विष्णुजी की पूजा में अर्पित करने के लिए दे।
हेम एक अत्यंत निष्ठावान सेवक था, लेकिन एक बार वह अपनी पत्नी के मोह में ऐसा बंध गया कि वह फूल लाना भूल गया। उस दिन राजा कुबेर पूजा के लिए फूलों की प्रतीक्षा करते रहे, लेकिन जब फूल नहीं पहुंचे, तो उन्हें अत्यंत क्रोध आया। उन्होंने हेम को बुलवाया और उसके इस कर्तव्यहीनता के लिए उसे श्राप दे दिया कि वह कुष्ठ रोगी होकर जंगल में निवास करेगा। श्राप के प्रभाव से हेम तुरंत ही कुष्ठ रोग से ग्रस्त हो गया और जंगल में रहने लगा। उसका शरीर दुर्गंध और पीड़ा से भर गया, जिससे लोग उसके पास जाने से भी कतराते थे।
एक दिन जब हेम बहुत ही दुखी और निराश था, तब उसे महर्षि मार्कंडेय मिले। उन्होंने हेम को उसकी स्थिति का कारण जानने के बाद योगिनी एकादशी के व्रत का पालन करने का सुझाव दिया। महर्षि मार्कंडेय ने बताया कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगी और उसका रोग भी समाप्त हो जाएगा। हेम ने महर्षि की आज्ञा का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसे कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई और उसका जीवन फिर से सुखमय हो गया।
कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से ही हेम को अपने पुराने पापों से मुक्ति मिली और उसका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर गया। इस प्रकार योगिनी एकादशी का व्रत न केवल रोग और पापों का नाश करता है, बल्कि व्यक्ति को एक नई दिशा और सकारात्मक जीवन प्रदान करता है।
व्रत विधि | Vrat Vidhi
- प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी, फूल, धूप, दीपक, चंदन और प्रसाद का उपयोग करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- एकादशी के दिन रात को जागरण करके भगवान की भक्ति में समय बिताएं।
- द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें, अर्थात व्रत खोलने के लिए गरीबों को भोजन कराएं और उन्हें दान दें।
योगिनी एकादशी व्रत के लाभ | Yogini Ekadashi vrat ke Labh
- इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और वह मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
- योगिनी एकादशी व्रत व्यक्ति के शारीरिक कष्टों को कम करने में सहायक होता है। इसे करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- इस व्रत को श्रद्धा और भक्तिभाव से करने पर व्यक्ति को सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।