वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरूथनी एकादशी कहते है, अन्य एकादशी व्रत की तरह इसमें भी भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा होती है।
- पुराणिक कथाओ के अनुसार वरूथनी एकादशी पापों का नाश करने वाली एकादशी है।
- ऐसा माना जाता है की सूर्यग्रहण के समय एक मन सोना दान करने का जो फल मिलता है, उतना ही वरूथनी एकादशी व्रत करने से मिलता है।
- एकादशी का व्रत करने से समस्त बांधाये खत्म हो जाता है।
वरुथनी एकादशी 2024
साल 2024 में वरूथनी एकादशी 4 मई 2024 को पड़ रही है। पूजा शुभ मुहूर्त 4 मई को शाम को 5:40 से आरंभ होगा, और अगले दिन 5 मई 2024 को शाम 4:24 मिनट पर समाप्त होगा।
पूजा विधि
- सर्वप्रथम भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराये।
- इसके बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाए।
- इसके बाद भगवान का चंदन से तिलक करे, और वस्त्र तथा मौली अर्पित करे।
- भगवान को भोग लगाए।
- इसके बाद भगवान की कथा सुने।
- इसके बाद आरती करे।
वरूथनी कथा
एक समय की बात है, मानध्ता नामक राजा नर्मदा नदी के तट पर राज्य करता था। राजा मानध्ता बहुत ही मेहनती दानवीर और तपस्वी था। एक दिन जब राजा जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी उनके पास एक भालू आया और उनका पैर चबाने लगा।
भालू देखकर राजा डर गए, लेकिन पुनः अपनी तपस्या में लीन हो गए। थोड़ी ही देर में भालू ने राजा को खीचकर, अपने साथ पास वाले जगल में ले गया और नाखून से प्रहार करने लगा।
राजा ने भालू पर बिना किसी क्रोध या हिंसा किए, भगवान विष्णु को सहायता के लिए प्रार्थना किया। राजा मानध्ता की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु सहायता करने आये, और अपने सुदर्शन चक्र से भालू का सिर धड़ से अलग कर दिया।
अब राजा बहुत परेशान थे, क्यू की भालू उनके पैर को खा गया था। राजा मानध्ता परेशान देख भगवान विष्णु ने उससे कहा “हे वत्स तुम परेशान न हो तुम्हारे पैर पहले जैसे पुनः आ जाएंगे, लेकिन उसके लिए तुम्हें मथुरा जाकर मेरे वराह अवतार की पूजा और वरूथनी व्रत करना होगा”।
भालू ने तुम्हारे पैर इसीलिए खाए है, क्यू की तुमने पूर्व जन्म में पाप किया था। तुम्हारे पूर्व जन्म के पाप कि सजा तुम्हें इस जन्म में मिली है। इतना बोलकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गया।
अब राजा मानध्ता मथुरा चले गए। मथुरा में उन्होंने वरूठनी व्रत को रखना आरंभ किया, और भगवान विष्णु की पूजा भी किया। कुछ ही दिन में राजा मानध्ता के पैर पुनः पहले की तरह वापस आ गए। राजा मानध्ता को भगवान विष्णु की आराधना से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी।
लाभ
- इस व्रत को करने से आपको कई वर्षों की तपस्या दान-पुण्य का फल मिलता है।
- हवन यज्ञ आदि से अधिक लाभ होता है।
- घर में सुख शांति, तथा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
- आपकी सारी मनोकामनाए पूर्ण होती है।