उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी उत्पन्न हुई थी इसीलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
उत्पन्ना एकादशी 2024 | Utpanna Ekadashi 2024
साल 2024 मे उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है। एकादशी तिथि का आरंभ 26 नवंबर 2024 को सुबह 01:11 पर होगा और समाप्ति रात 27 नवंबर को 3:47 पर होगी।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा | Utpanna Ekadashi Vrat Katha
पौराणिक कथाओ के अनुसार प्राचीन काल में एक मूर नाम का दैत्य था। मूर बहुत ही शक्तिशाली था। उसने अपने बल से स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, और सभी देवताओ को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।
मूर के अत्याचार से सभी देवता परेशान हो गए, और उससे छुटकारा पाने के भगवान शिव के पास गए। भगवान शिव ने सभी देवताओ से कहा, आप सभी जगत के पालन हार भगवान विष्णु के पास जाइए वह आप की सहायता अवश्य करेंगे।
तब सभी भगवान विष्णु के पास मदद मांगने क्षीरसागर में गए। भगवान विष्णु से सभी देवताओ ने दैत्य मूर से रक्षा की सह्यता मांगी। तब भगवान विष्णु ने कहा “दैत्य मूर का पता बताओ वो कहा और कब मिलेगा।“
तब देवराज इन्द्र ने भगवान विष्णु से कहा – प्रभु दैत्य मूर अपने राज्य चंद्रवती नामक नगरी में मिलेगा। भगवान और सभी देवता चन्द्रावती नगरी की ओर चल दिए। वहाँ जाकर मूर को युद्ध का आवाहन दिया।
युद्ध आवाहन से मूर सभी राक्षसो के साथ युद्ध करने आया, जिसे देखकर देवता भागने लगे। परंतु भगवान विष्णु ने मूर से युद्ध किया, और उसकी सेना को अपने सर्प को सौप दिया और मूर की सेना कुछ देर में ढेर हो गयी।
भगवान विष्णु और मूर का युद्ध लगभग 10000 वर्ष तक चला, पर मूर हार नहीं रहा था। तब भगवान क्षीरसागर में विश्राम करने जाने लगे। उन्हे क्षीरसागर में जाता देख मूर ने भगवान विष्णु का पीछा किया। जहा भगवान विश्राम कर रहे थे वह पहुच कर, उन पर प्रहार करने को सोच ही रहा था । तभी भगवान विष्णु के कशरीर से एक देवी निकली और मूर से युद्ध कर उसका वध कर दिया।
जब भगवान विष्णु विश्राम करके उठे, तो उन्होंने देखा की राक्षस मूर का वध हो गया है, तभी देवी ने बताया की उन्होंने वध किया है। तब भगवान विष्णु ने कहा आपका उत्पत्ति एकादशी के दिन हुई है इसलिए आपको उत्पन्न एकादशी के नाम से जाना जाएगा।