शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
- शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि सोम प्रदोष व्रत के समान है इसमे भी स्वेत वस्त्र एवं खीर जैसे खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाता है।
- इस व्रत को करने से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- जिन लोगों के जीवन में विवाह संबंधी समस्याए आती है वो लोग शुक्र प्रदोष व्रत का पालन कर के जीवन की सारी परेशानियों से मुक्ति पा सकते है ।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा | Shukra Pradosh Vrat Katha In Hindi
एक समय की बात है एक नगर में तीन मित्र रहते थे, तीनों मित्रों की मित्रता घनिसठ थी। उनमे से एक राजकुमार ,दूसरा ब्राह्मण पुत्र ,तीसरा सेठ का पुत्र था। उनमे से विवाह तीनों का हुआ था लेकिन सेठ के पुत्र का विवाह के बाद गौना नहीं हुआ था।
एक दिन तीनों मित्र आपस में स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। जिसमे से ब्राह्मण पुत्र प्रशंसा में बोला –“बिना स्त्रियों के घर भूतों का डेरा होता है।” सेठ के पुत्र ने ये बात सुनकर तुरंत अपनी पत्नी को लाने का निर्णय लिया।
सेठ पुत्र अपने घर गया और अपने निर्णय के बारे में माता पिता को बताया। माता पिता ने बताया की शुक्र देवता डूब गये है अतः इन दिनों बेटी एवं बहुओ को उनके घर से विदा कर के नहीं लाया जाता है। यह अशुभ होता है।
अतः तुम शुक्रओदय के बाद जाना अपने पत्नी को विदा कर के ले आना। लेकिन सेठ पुत्र ने माता पिता की एक न सुनी ओर ससुराल चला गया पत्नी को विदा करा के लाने के लिए ।
ससुराल पहुच कर सास ससुर को जब उसने बताया की मैं पत्नी को लेने आया हु, तो उन्होंने भी समझाया लेकिन वह उनकी भी एक न सुनी।
विवश होकर माता पिता को बेटी की विदाई करनी पड़ी। ससुराल से विदा होकर वो लोग बस नगर से बाहर ही निकले थे की उनकी बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और एक बैल की टांग भी टूट गई। पत्नी को भी काफी चोट आई।
सेठ पुत्र तब भी हार नहीं माना ओर पुनः आगे जाने लगा। आगे बढ़ने पर उनको कुछ डाकुओ ने घेर लिया तथा सारा धन धान्य लूट लिया। सेठ का पुत्र पत्नी के साथ रोता बिलखता हुआ घर पहुचा और घर जाते ही उसे सांप ने काट लिया।
पिता ने वैद्यों को बुलाया और वैद्यों ने जाच के बाद बोला की आपका पुत्र 3 दिन के भीतर ही मर जाएगा। उसी समय इस घटना का पता ब्राह्मण पुत्र को लगा। उसने सेठ से आकार बोला की आप अपने पुत्र एवं बहु को बहु के घर भेज दो।
इसी की वजह से सारी बाधाये आ रही है क्यू वह अपनी पत्नी को शुक्रासत में विद करा के लाया था। सेठ को ब्राह्मण की बात पसंद आई और वह अपने पुत्र एवं बहु को बहु के घर वापस भेज दिया।
ससुराल पहुचते ही सेठ पुत्र की हालत में सुधार आने लगा। तथा कुछ ही दिनों में वह पूरी तरह से ठीक हो गया।
अतः जो भी भक्त शुक्र प्रदोष व्रत करते है उन्हे भगवान शिव का आशीर्वाद एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।