श्री बांके बिहारी भगवान श्री कृष्ण के प्रसन्न रूप में जाने जाते हैं, जो वृंदावन के अन्तर्गत स्थित हैं। उन्हें “बांके बिहारी” भी कहा जाता है,
- श्री बांके बिहारी जी को “वनमाली” भी कहा गया हैं, क्योंकि उनको वन मे खेल खेलना अति प्रिय था।
- उनकी मूर्ति वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में स्थित है
- बांके बिहारी मंदिर में बाल रूप में श्री बांके बिहारी की पूजा की जाती है।
- बांके बिहारी जी आरती एक भक्ति भावना से भरी हुई है, जो उनके प्रति भक्त की श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करती है।
- इस आरती का पाठ करने से भक्त का मन मोहन जी के सामीप ले जाने में समर्थ होता है।
।। श्री बांके बिहारी की आरती।। (Shri Banke Bihari Ki Aarti in Hindi)
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं। आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे, प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी, जिसने सारी दुनिया तारी ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
दास अनाथ के नाथ आप हो, दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो। मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं, श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
बांके बिहारी की आरती के लाभ
- श्री बांके बिहारी की आरती का पाठ से भक्त अपने मन को भगवान श्री कृष्ण मे समर्पित होने का अनुभव करता है।
- आरती गाने से भक्त का मन शांत होता है और उसे आनंद और सुख का अनुभव होता है।
- आरती का नियमित पाठ करने से भक्त अपने जीवन में आने वाले दुःखों और संघर्षों को सहने की शक्ति प्राप्त करता है।
- इस आरती को करने से भक्त मानवता, दया, और करुणा की भावना में सुधार करता है, जिससे समाज में सहानुभूति बनी रहती है।
- यह आरती भक्तों को सत्य, शुद्धता, और भगवान के साथ निकटता महसूस करने में सहायक होती है।