शनिदेव का साढ़े सात साल तक किसी विशेष राशि में भ्रमण करने की दशा को शनि की साढ़े साती कहा जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, जो इस समय में मनुष्य के द्वारा किए गये कर्मों का फल देते है। साढ़े साती के तीन चरण होते है, जो जातक को अलग-अलग तरह से कर्मों का फल देते है।
- भगवान शनिदेव जिस वक्त की राशि में भ्रमण करते है, उसी पल से शनि की साढ़े साती की दशा शुरू हो जाती है।
- जब भी साढ़े साती लगती है, तब एक साथ तीन राशि पर इसका प्रभाव पड़ता है।
- साढ़े साती को ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में विभाजित किया जाता है।
- ढाई-ढाई साल के तीन चरणों को जोड़ने पर इसे साढ़े साती की सज्ञां दी जाती है।
- शुरुआत के ढाई साल के चरण में शनि देव व्यक्ति के सिर पर विराजमान रहते है, तथा मानसिक परेशानीया देते है।
- मध्य के ढाई साल के चरण में शनि देव व्यक्ति के सीने पर आते है, जो की व्यक्ति को आर्थिक और व्यापारिक समस्या का सामना करना पड़ता है। इस चरण में व्यक्ति के सभी कामों में रुकावट आती है।
- अंतिम चरण में शनिदेव व्यक्ति के निचले भाग में विराजमान होते है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति को रिस्टों में लड़ाई झगड़े कोर्ट कचहरी और अन्य विवादों का सामना करना पड़ता है।
- भगवान शनि देव की साढ़े साती राजा को रंक और रंक को राजा बना देते है।
शनि की साढ़े साती के लक्षण | Shani Ki Sade Sati Ke Lakshan
- अचानक से आपके सभी बने-बनाये काम बिगड़ने लगेंगे और आपको मानसिक अशान्ति महसूस हो।
- व्यक्ति को अधिकांश समय सरदर्द की समस्या रहने लगे।
- अचानक से आपको व्यापार में हानी और कार्यस्थल से अशुभ समाचार मिलने लगे।
- परिवार में सभी सदस्यों में छोटी-छोटी बात पर लड़ाई, मनमुटाव होने लगता है।
- व्यक्ति को स्वस्थ संबंधी समस्याओ और छूट पुट बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
- आपको हर छोटी-छोटी बात पर क्रोध आएगा।
- व्यक्ति के अपने सोचने विचारने व वाणी में बदलाव होने लगता है।
- चेहरा और माथे शनिदेव के प्रभाव से काला रंग दिखने लगेगा।
- व्यक्ति को नास्तिक विचार आने लगेंगे, और उसका ईश्वर से विश्वास उठने लगता है।
शनि की साढ़े साती के उपाय | Shani Ki Sade Sati Ke Upay
- साढ़े साती का प्रभाव कम करने का सबसे सर्वोत्तम उपाय है, की जातक प्रतिदिन भगवान शिव की आराधना करे।
- भगवान शिव की पूजा करने की विधि:
- प्रतिदिन मंदिर मे शिव लिंग पर जल अर्पित करे व चंदन का तिलक लगाए।
- भगवान के आगे दीप जलाये व शिव चालीसा का पाठ करे।
- सोमवार के दिन पूजा के साथ फूल, कोइ फल, और दूध शिवलिंग पर चढ़ाए।
- प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करे व हनुमान चालीसा का पाठ करे।
- प्रत्येक शनिवार के दिन, शनिदेव की पूजा दिए गये विधि के अनुसार करे:
- सर्वप्रथम दीपक जलाए और शनिदेव की प्रतिमा पर सरसों का तेल व काले तील चढ़ाए।
- शनिदेव को काला उड़द, लोहा, तिल, काला कपड़ा दान करे।
- शनिदेव की पूजा में शनि स्रोतम का पाठ कर सकते है।
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल से दीपक जलाना चाहिए।
- अगर आप चाहे तो हर शनिवार को काले तिल के साथ आटा मिलकर काली चिटियों को खिलाना चाहिए।
- काले घोड़े की नाल से अगूठी बनवाकर पहनना चाहिए, इससे साढ़े साती का प्रभाव कम होता है।
- शनिवार के दिन किसी गरीब को लोहे की वस्तु व काले उड़द की दाल दान कर सकते है।
साढ़े साती में क्या नहीं करना चाहिए
- मादक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- शनिवार व मंगवार के दिन मांसहार का सेवन न करे।
- शनिवार के दिन लोहे से बनी हुई वस्तुओ का क्रय नहीं करना चाहिए।
- अपने से बड़े या फिर छोटे सभी व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए।
- शनिदेव न्याय के देवता है, इसीलिए जरुरतमन्द लोगों की मदद करना चाहिए।
शनि की साढ़े साती के तीन चरण
साढ़े साती 3 चरणों में विभाजित है, और हर चरण ढाई-ढाई साल में विभाजित है।
पहला चरण
साढ़े साती के शुरुआत के प्रथम ढाई साल को साढ़े साती का प्रथम चरण माना गया है। इस चरण में शनि देव व्यक्ति के सिर पर विराजमान रहते है। इसमे व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहेगा, व्यक्ति का स्वास्थ सही नहीं रहता, गंभीर बीमारी से जूझना, स्वभाव में चिड़चिड़ा, वैवाहिक रिस्तो में दरार, आदि देखने को मिलती है।
दूसरा चरण
साढ़े साती के दूसरे चरण यानि दूसरे ढाई वर्ष में व्यक्ति के व्यापार में हानी होने लगती है। और लंबी दूरी की यात्रा मे असफलता, अपने साथ कार्य करने वाले लोगों से मतभेद, एक साथ आर्थिक तथा व्यवसायिक दोनों समस्या देखने को मिलती है।
तीसरा चरण
तीसरे चरण में व्यक्ति को अनेक विवाद का सामना करना पड़ता है, कोर्ट कचहरी, लड़ाई झगड़े, जमीन बटवारा में झगड़ा आदि देखने को मिलता है, तथा सभी क्षेत्रों में असफलता हाथ लगती है। इसके अलावा उसे अपनी आय से ज्यादा खर्च करना पड़ता है। जीवन में बहुत सी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।