रथ यात्रा दक्षिण भारत के शहर पुरी में होने वाली भगवान जगन्नाथ जी की प्रसिद्ध यात्रा है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र, और उनकी बहन सुभद्रा की अलग-अलग तीन रथो में निकाली जाती है। इन रथो को रस्सियों द्वारा खीच कर पुरी से गुड़ीचा तक ले जाया जाता है।
- रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ (कृष्ण जी) को समर्पित है। यह त्योहार रथ त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए भारी भीड़ अत्यंत हर्षोउल्लास के साथ इस रथ यात्रा का आनंद लेते है।
- यह यात्रा पुरी से शुरू होकर 3 किलोमीटर दूर गुडीचा मंदिर तक लाया जाता है।
- इस यात्रा के बाद भगवान जगनाथ को गुडीचा मंदिर में सात दिन के लिए विराजमान किया जाता है।
- इन सात दिनों को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है, व दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते है।
- भगवान जगनाथ की रथ लाल और पीले रंग की होती है, और इस रथ में 16 पहिये होते है।
- भगवान बलभद्र की रथ लाल और हरा रंग की होता है, और रथ में 14 पहिये लगे होते है।
- देवी सुभद्रा की रथ काला या नीला और रंग की होती है, रथ में 12 पहिये होते है।
2024 रथ यात्रा तारिक | Rath Yatra Date
- इस बार रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 दिन रविवार को निकाली जाएगी।
- हर साल यह आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन से आरंभ हो जाता है।
- एकादशी को पुनः भगवान जगन्नाथ पूरी मंदिर में विराजामन होते है।
- इस त्योहार को धूम-धाम से 9 दिन मनाया जाता है ।
रथ यात्रा क्यों निकाला जाता है?
एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा का मन अपनी मौसी के घर गुडीचा जाने का हुआ, यह इच्छा उन्होंने अपने भाई को बताई। उनकी इच्छी सुन कर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और सुभद्रा रथ पर सवार होकर गुडीचा उनकी मौसी के घर गए। इसी पल को याद करने के लिए भगवान जगन्नाथ के सभी भक्त हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालते है।
एक और मान्यता है –
भगवान श्री कृष्ण का मन प्रत्येक वर्ष मथुरा जाने का करता था, मथुरा श्री कृष्ण की जन्मस्थली है। भगवान की इच्छा पूर्ण करने के लिए हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा ओडिशा के पूरी शहर से निकाली जाती है, और गुडीचा तक ले जाया जाता है।
रथ यात्रा से संबंधित तथ्य
आड़प दर्शन
गुडीचा में जब रथ 3 किलोमीटर की दूरी तय कर शाम तक पहुच जाती है, और अगले दिन 7 दिन इसी मंदिर में भगवान जगन्नाथ विराजमान रहते है। गुडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ का सभी भक्त दर्शन करने आते है, जिसे आड़प दर्शन कहते है। भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद महाप्रसाद कहा जाता है।
गुडीचा मार्जन
जब भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरी से निकलने वाली होती है उसके एक दिन पहले गुडीचा मंदिर को सभी भक्त मिलकर भगवान्न जगन्नाथ की आने की खुशी में साफ सफाई करते है इसे ही गुडीचा मार्जन कहते है।
बहुडा यात्रा
नौवे दिन पुनः सभी रथ पूरी मंदिर में वापस आती है, जिसे बहुडा यात्रा कहते है। परंतु मूर्तिया सारी एकादशी से पूर्व रथ में ही रहती है। एकादशी के दिन पुनः भगवान को स्नान आदि करा कर मंत्रों द्वारा मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाता है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण | Puri Jagannath Temple Built Year
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा जजाती केसरी ने 1949 में प्रारंभ किया गया, जो 1959 तक बन कर तैयार हुआ। 12वी शताब्दी में गंग वश के राजा अन्नतवर्मन चोडगंग द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया था। जगन्नाथ मंदिर कलिंग वास्तुकला का एक खूबसूरत उदाहरण है। इस मंदिर को व्हाइट पैगोडा नाम से भी जाना जाता है।
जगन्नाथ पूरी कैसे जाए? | How to reach Jagannath Puri?
हवाई जहाज | By Air
- आप पुरी हवाई यात्रा द्वारा भी जा सकते है।
- पूरी के सबसे निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है।
- पटनायक हवाई अड्डा से जगन्नाथ मंदिर की दूरी 65 किलोमीटर हैं,
- यहाँ पहुच कर आप कोइ भी सवारी बस या टैक्सी कर सकते है पुरी पहुचने के लिए।
- मंदिर तक का टैक्सी और बस का किराया 150 से 300 तक होता हैं।
- इस यात्रा मे लगभग 1 घंटे का समय लगता हैं।
ट्रेन द्वारा | By Train
- पुरी जाने के लिए ट्रेन की सुविधा भी है।
- देश के लगभग सभी शहरों से ट्रेन सुविधा उपलब्ध है, जो पुरी तक जाती है।
- पुरी के निकटतम रेलवे स्टेशन जगन्नाथ पुरी है। यह मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- पुरी रेलवे स्टेशन से मंदिर तक के लिए ऑटोरिक्शा सुलभ हैं, जिनका किराया लगभग 50 रुपए है।
सड़क मार्ग द्वारा | By Road
ओडिशा का पुरी अच्छी तरह सड़क मार्ग से जुड़ा है। आप पड़ोसी राज्यों से बस से, टैक्सी से, खुद की गाडी से जा सकते है।