प्रदोष व्रत का महत्व
- इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से घर में सुख शांति एवं सम्बरिद्धी आएगी।
- सौभाग्य एवं धन दौलत में वृद्धि होती है तथा आपकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
- जीवन की सभी बाधा एवं कष्ट को दूर करने में मदद मिलती है।
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat Katha In Hindi
एक नगर में एक ब्राम्हणी महिला अपने पुत्र के साथ रहती थी। जिसके पति का स्वर्गवाश हो चुका था। तथा उनके पास धनप्राप्ति का कोई और साधन नहीं था। जिसकी वजह से वो प्रतिदिन सुबह होते ही अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकाल जाती थी, जो भी भिक्षा में मिलता था उससे स्वयं तथा पुत्र का पेट पालती थी।
एक दिन भिक्षा मांग कर घर लौटते समय ब्राम्हणी ने देखा की रास्ते में एक लड़का घायल अवस्था में दर्द से कराह रहा था। जिसे देखकर महिला को दया या गई तथा वह उस लड़के को अपने घर ले आई।
यह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। उसके शत्रु सनिकों ने, उनके राज्य पर आक्रमण कर दिया था और उनके पिता को बंदी बना लिया था। राजकुमार, ब्राह्मण महिला के घर में रहने लगा।
एक दिन अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा एवं उसपर मोहित हो गई। और अगले ही दिन वह अपने माता पिता को राजकुमार से मिलाने ले आई, मिलने के बाद कन्या के माता पिता को राजकुमार अच्छे लगे।
कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता पिता को शिव जी स्वप्न में आए ओर उन्हे आदेश दिया की वो अंशुमाती ओर राजकुमार का विवाह शीघ्र कर दे। उसके बाद माता पिता ने ऐसा ही किया।
ब्राह्मणी को ऋषि मुनियों ने बताया था की वो प्रदोष व्रत करे जिससे उसका कल्याण होगा। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रु सेना को मार भगाया तथा अपने राज्य को पुनः हासिल कर लिया।
राजकुमार ने ब्राह्मण महिला के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया, और अपना जीवन सुख शांति एवं आनदपूर्वक जीने लगे। जिस प्रकार राजकुमार ओर ब्राह्मण महिला ओर उसके पुत्र का जीवन बदल गया। प्रदोष व्रत करने वाले हर व्यक्ति के भगवान शिव बुरे कर्म नष्ट कर, उसका जीवन खुशहाल कर देते हैं