जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह और राहू ग्रह के नौवे भाव में मिलने से पितृ दोष बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का नौवा भाव पिता और पूर्वजों का भाव कहलाता है। जब इस भाव पर सूर्य और राहू का प्रभाव पड़ता है, तो यह संकेत देता है कि जातक के पूर्वजों की कोई अंतिम इच्छा पूरी नहीं हुई है, जिससे पितृ दोष उत्पन्न होता है।
पितृ दोष के कारण | Pitra Dosh ke Karan
पितृ दोष किसी व्यक्ति के वर्तमान कर्मों के कारण नहीं, बल्कि पूर्वजों के कर्म, पाप, या कर्ज के कारण उत्पन्न होता है। पितृ दोष तब होता है जब गुरु ग्रह 4, 8, या 12 भाव में स्थित होता है और उस पर अन्य नीच ग्रह का प्रभाव पड़ता है। यह दोष जातक की लगभग 7 पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के निर्वाण के बाद विधि-विधान से पिंडदान और श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता, तो पितृ दोष लग सकता है। इसके अलावा, ब्राह्मण का अनादर, गौहत्या, पूर्वजों को अपशब्द बोलना, जल न देना, वट और पीपल वृक्ष काटना भी पितृ दोष के कारण बन सकते हैं।
पितृ दोष के लक्षण | Pitra Dosh Ke Lakshan
पितृ दोष से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
- स्वास्थ्य समस्याएँ: असमय आँखों की रौशनी में कमी, हड्डियों में टूट-फूट जैसी समस्याएँ।
- वित्तीय समस्याएँ: व्यक्ति को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- कानूनी परेशानियाँ: लंबे समय तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ सकते हैं।
- मानसिक अशांति: व्यक्ति का मन किसी भी कार्य में नहीं लगता, और वह मानसिक रूप से परेशान रहता है।
- परिवार में बीमारियाँ: परिवार का कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमारी से ग्रसित रहता है।
- विवाह में बाधाएँ: विवाह में अनेक बाधाएँ आती हैं और शुभ कार्यों में विघ्न पड़ता है।
- परिवार में कलेश: परिवार में शांति नहीं रहती, और अक्सर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।
पितृ दोष के उपाय | Pitra Dosh Ke Upay
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- सूर्य पूजा: प्रतिदिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और गायत्री मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव की आराधना: भगवान शिव की पूजा करें और 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें, इससे मानसिक शांति मिलती है।
- पूर्वजों का सम्मान: पूर्वजों की निर्वाण तिथि पर ब्राह्मण को भोजन और दान-दक्षिणा दें।
- गाय सेवा: गाय माता की सेवा करें और उन्हें गुड़ खिलाएं।
- पीपल पूजन: प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं, इससे पितृ दोष शांत होता है।
- पितृ दोष पूजा: पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा कराएं, जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
इन उपायों का पालन करने से जातक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।