- नीब कारोरी बाबा बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में से एक थे।
- इनको नीम करौली व नीब करोरी बाबा के नाम से जाना जाता हैं।
- नीब कारोरी बाबा का जन्म अकबरपुर में वर्ष 1900 मे हुआ था।
- इनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था।
- उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा एवं माता का नाम लक्ष्मी था।
- नीब कारोरी बाबा ने अपने जीवन काल मे 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया था।
- हनुमान जी के प्रति भक्ति ओर उनके चमत्कारों से लोग उनसे बहुत प्रेरित होते हैं।
- उनको हनुमानजी का अवतार भी माना जाता था।
नीब कारोरी बाबा जीवन परिचय
नीब कारोरी बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में वर्ष 1900 में एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उनकी मृत्यु 11 सितमबर 1973 में हुई थी।
इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा तथा माता का नाम लक्ष्मी था। इनका विवाह 11 वर्ष की उम्र में ही “तुलाराम शाह” से हो गया था। विवाह के कुछ समय बाद इनका मन वैराग्य की ओर जाने लगा और 11 वर्ष की अवस्था में इन्होंने घर त्याग दिया। 17 वर्ष की आयु में बाबा जी को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।
एक बार पिताजी को पता चला कि उनका पुत्र फरुखाबाद में देखा गया है, तो पिताजी ने उनसे अनुरोध किया कि वे घर लौटें आए। उनके अनुरोध पर पुत्र ने फिर से घर लौटने का निर्णय किया, और उन्होंने अपनी गृहस्ती संभाली।
कुछ सालों बाद, बाबा नीब करोरी के 2 पुत्र तथा 1 पुत्री हुई, पर उनका मन हमेशा से साधु बनने का था। वर्ष 1958 में साधु बनने के लिए उन्होंने पुनः घर छोड़ दिया।
इन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया और हनुमान जी भक्ति करके बहुत सी सिद्धिया प्राप्त की जिससे वह सब भक्तों के कष्ट दूर कर देते थे। इन्होंने हनुमान जी की भक्ति ओर हनुमान चालीसा का महत्व लोगों को बताया। इन्ही सब कारणों से वे अत्यंत प्रसिद्ध हुए।
उन्होंने अपने जीवनकाल में विभिन्न स्थानों पर 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया। नीब कारोरी बाबा अलग-अलग नामों से प्रसिद्ध थे। जैसे कि “हांडी वाले बाबा”, “तिकोनिया बाबा”, “लक्ष्मण दास” आदि।
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई
बाबा जी की मृत्यु का कारण दिल का दौरा (हार्ट अटैक) बताया जाता है। यह घटना तब घटी जब वे वृंदावन में थे। उनकी मृत्यु के बाद, उनके अनुयायियों और भक्तों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और आज भी उन्हें एक महान संत के रूप में याद किया जाता है। उनके द्वारा स्थापित आश्रम और उनकी शिक्षाएँ दुनियाभर में श्रद्धालुओं द्वारा अनुसरण की जाती हैं।
नीब कारोरी बाबा नाम क्यू पड़ा?
एक बार नीब करोरी बाबा ट्रेन से यात्रा कर रहे थे, तभी ट्रेन के एक अधिकारी टिकट चेक करने आया, पर बाबा के पास टिकट नहीं था। टिकट नहीं होने के कारण अधिकारी ने उन्हें ट्रेन से उतार दिया।
ट्रेन से उतरने के बाद बाबा एक जगह ध्यान में बैठ गए, और ट्रेन अगले स्टेशन पर जाने के लिए हिलने का नाम ही नहीं ले रही थी।
यह देखकर अधिकारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ, और वे बाबा नीब कारोरी से माफी मांगी, और उन्हें वापस सम्मान के साथ ट्रेन में बैठाया गया, और फिर ट्रेन चलने लगी।
जिस जगह बाबा को ट्रेन से उतारा गया था, उस स्थान का नाम नीब करोरी था। इसीलिए उन्हें नीब करोरी बाबा कहा जाने लगा।
नीब कारोरी बाबा मंदिर एवं आश्रम
- यह मंदिर पहाड़ियों के बीच, निर्मल नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ का माहौल अत्यंत मनमोहक होता है।
- नीब कारोरी आश्रम और मंदिर एक ही स्थान पर स्थित हैं।
- मंदिर व आश्रम की स्थापना श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक अपेक्षा को पूरा करने के लिए की गई थी।
- यह मंदिर संत नीब कारोरी बाबा को समर्पित है, जिन्होंने विशेष रूप से आध्यात्मिक उपदेश दिए थे।
- आश्रम में संत नीब करोरी बाबा के शिष्यों द्वारा ध्यान, भजन, और सेवा की प्रार्थना की जाती है
- नीब कारोरी बाबा मंदिर एवं आश्रम एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय है, जहाँ हर साल अनेक श्रद्धालु आते हैं।
- दिल्ली के नजदीक होने के कारण यह मंदिर पूरे साल श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
- यहाँ देश विदेश की मशहूर हस्तियाँ भी आ चुकी हैं।
नीब करोरी बाबा मंत्र
मंत्र : चरणन धरी सम्हार।। कृपासिन्धु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।। जय जय नीब करोरी बाबा कृपया करहु सद्भाव।।
- नीब करोली बाबा का मंत्र उनकी आध्यात्मिक शक्ति और कृपा को प्राप्त करने का एक माध्यम है।
- इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति में वृद्धि होती है।
- नीब करोली बाबा के मंत्र के जाप से व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है। और वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता प्राप्त करता है।
नीब कारोरी बाबा के चमत्कार
1 चमत्कार
एक बार की बात है, जब बाबा नीब करोरी के भक्तों के लिए भंडारा हो रहा था। अचानक भंडारे के लिए घी की कमी हो गई।यह जानकर बाबा नीब करोरी ने एक शिष्य को बुलाया और उन्हें नदी के किनारे जाकर 2 कनस्तर जल भरकर लाने को कहा। शिष्य ने आदेश का पालन किया और नदी से जल भरकर लाया।
बाबा नीब करोरी ने उस जल को छूकर अद्भुत चमत्कार किया और जल को घी बना दिया। इस अद्भुत घटना को देखकर भक्त आश्चर्यचकित हो गए और बाबा नीब करोरी की अनन्त करुणा और शक्ति के प्रति विश्वास और भी बढ़ गया।
दूसरे दिन, जब भंडारे के लिए घी की आवश्यकता थी, तो उस घी को नदी में प्रवाहित कर दिया गया, ऐसा माना जाता है कि वह घी गंगा मैया को वापस किया गया था। इस अद्भुत घटना ने भक्तों के मन में बाबा नीब करोरी की महानता का अद्वितीय अनुभव किया।
2 चमत्कार
एक बार, नीब करोरी बाबा एक बूढ़े दम्पति के घर पहुंचे, जो कि फतेहगढ़ में रहते थे। उनके घर अचानक से गए और बोले की वो आज यही रहेंगे। यह सुनकर बूढ़े दम्पत्ति खुश हो गए।
पर उन्हे दुख था, की उनके पास बाबा की सेवा करने के लिए कुछ भी नहीं है। घर में जो कुछ भी था, उससे उन्हे बाबा जी की सेवा की, बाबा जी खा-पी कर कंबल ओढ़ सो गए।
जैसे ही बाबा सोए वो कराह रहे थे। ऐसा लग रहा था की उन्हे कोई मार रहा हो। यह देख बूढ़े दम्पत्ति सो नहीं पाए सोचने लगे बाबा जी को क्या हो गया है। सुबह होते ही बाबा जी ने कंबल को लपेट कर दम्पत्ति को दे दिया और बोले इसे गंगा नदी में प्रवाहित कर देना इसको खोल के मत देखना, नहीं तो समस्या मे पड़ जाओगे।
और आपका पुत्र एक महीने में घर पर सही सलामत लौट आएगा। बूढ़े दंपति ने बाबा जी की आज्ञा का पालन किया, पर कंबक को ले जाते समय उन्होंने ऐसा महसूस किया कंबल में कोई लोहे की वस्तु है। पर इस बात का उन्होंने ध्यान नहीं दिया और वो ले जा कर कबल को गंगा जी में प्रवाहित कर दिए।
एक महीने बाद बूढ़े दम्पत्ति का पुत्र लौट आया जो की ब्रिटिश फौज में एक सैनिक था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह वर्मा फ्रंट पर तैनात था और वह एक महीने पहले दुश्मन फौज से घिर गया था। और उसके सारे साथी मारे गए पर वह बच गया। गोलीबारी में उसे एक भी गोली नहीं लगी थी। पूरी रात गोलीबारी हुई पर वह दुश्मनों से बच गया।
जब सुबह में और ब्रिटिश सैनिक आए तो उसके जान में जान आई। इसी रात को बाबा नीब करोरी बूढ़े दम्पत्ति के यहा रात्री को रुके थे।
3 चमत्कार
एक बार एक विदेश महिला अनुयायी अपने पति को लेकर नीब करोरी बाबा के पास गई। महिला के पति को न ही धर्म पर न ही बाबा पर भरोसा था। लेकिन अपनी पत्नी के आग्रह पर वह उसके साथ बाबा नीब करोरी के दर्शन को गया
वह जा कर उसने आश्रम और बाबा जी को देखकर सोचा, साधारण से दिखने वाले व्यक्ति पर मेरी पत्नी पागल है और वह वहा से उठकर चला गया।
रात्री को वह एक नदी के किनारे खड़े होकर अपने भविष्य और पत्नी के बारे में सोचने लगा। दूसरे दिन जब उसे अपने देश लौटना था, तो वह पत्नी के आग्रह पर दुबारा बाबा नीब करोरी के दर्शन करने गया।
तब बाबा जी ने उस व्यक्ति को बुलाया और पूछा, रात में आप नदी के किनारे खड़े हो कर क्या सोच में पड़े थे? और आप यह आने पर क्या सोच रहे है ? क्या आप ये सारी बाते जानना चाहते है?
यह सुन व्यक्ति आश्चर्य में पद गया और तब बाबा जी सारी बाते बताई तो उसे बाबा जी पर पूर्ण रूप से विश्वास हो गया।
बाबा नीब कारोरी से दुनिया की मशहूर हस्तिया भी प्रभावित है।
नीब करोरी बाबा – स्टीव जॉब्स
1974 में, एप्पल के संस्थापक भी बाबा नीब करोरी के दर्शन करने आए थे। लेकिन उस समय नीब करोरी बाबा की मृत्यु हो चुकी थी। उन्होंने कुछ दिन नैनीताल के कैंची धाम में बिताया और फिर अमेरिका चले गए। बाबा की कृपा से, स्टीव जॉब्स की कंपनी, एप्पल, को बहुत सफलता मिली।
नीब करोरी बाबा – मार्क जुकरर्बक
स्टीव जॉब्स के सुझाव पर, मार्क जुकरबर्ग फेसबुक के संस्थापक भी नीब करोरी बाबा के दर्शन करने के लिए कैंची धाम आए थे। उनकी फेसबुक कंपनी ने भी बाबा की कृपा से अपार सफलता प्राप्त करी।
नीब करोरी बाबा – जूलिया रॉबर्ट
मशहूर हॉलिवुड अभिनेत्री जूलिया रोबर्ट्स भी नीब करोरी बाबा की भक्त हैं। उनकी इस आस्था ने उन्हें नई प्रेरणा और ऊर्जा दी है और उन्हें अपने जीवन बहुत सफलता मिली।
विराट कोहली और अनुष्का
नवंबर 2022 में, टी-20 विश्व कप के बाद, विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा कैंची धाम पहुंचे। वहां, उन्होंने बाबा नीम करौली महाराज के मंदिर में दर्शन किए।
नीब करोरी बाबा आश्रम कहा है?
- नीम करोरी बाबा का आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग में स्थित है।
- यह आश्रम नैनीताल से 20 किलोमीटर की दूरी पर है।
- नैनीताल से आप स्थानीय बस या टैक्सी का इस्तेमाल करके नीम करोरी बाबा मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- अगर आप ट्रेन से यहाँ आना चाहते हैं, तो आश्रम के सबसे निकटतम काठगोदाम रेल्वे स्टेशन है।
- काठगोदाम रेल्वे स्टेशन से कैंची धाम आश्रम की दूरी 37 किलोमीटर है।
- काठगोदाम से आप स्थानीय बस या टैक्सी करके आश्रम तक पहुँच सकते हैं।
- दिल्ली से सीधी बस हल्द्वानी जाती हैं, ओर हल्द्वानी से कैंची धाम स्थानीय बस या टैक्सी से जा सकते हैं।
- हल्द्वानी से कैंची धाम आश्रम की दूरी 42 किलोमीटर हैं।
जानिए: दिल्ली, काठगोदाम एवं नैनीताल से कैंची धाम कैसे पहुँचे