मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। इस एकादशी के अन्य नाम भी है जैसे बैकुंठ एकादशी, मौनी एकादशी आदि।
इस दिन भगवान विष्णु का व्रत पूजा किया जाता है, और अपनी इच्छानुसार पूरे दिन मौन व्रत रखा जाता है इसीलिए इसे मौनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के मुख श्रीमदभागवत गीता की भी उत्पत्ति हुई थी, इसीलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
मोक्षदा एकादशी 2024 | Mokshada Ekadashi 2024
इस बार मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024 दिन बुधवार को पड़ रही है। मोक्षदा एकादशी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को 3:45 मिनट पर होगी, और समाप्ति अगले दिन 12 दिसंबर को 01:10 मिनट पर होगी।
महत्व
इस एकादशी का व्रत करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, तथा भगवान विष्णु की आराधना से उनका विशेष आशीर्वाद मिलता है, परिवार में सुख समृद्धि अति है और धन धान्य में वृद्धि होती है, और आपका मन, मस्तिष्क, शरीर शुद्ध रहता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा | Mokshada Ekadashi vrat Katha
प्राचीन काल में वैखानस नामक राजा गोकुल राज्य में राज करता था। एक बार रात्री में राजा सोया हुआ था, तभी उसे स्वप्न आया की उसके पिता यमलोक में सुख से नहीं है और उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल रही है। जब राजा स्वप्न से जब बाहर आया, तो उसने अपने नगर के कई ब्राह्मणों और ऋषियो को बुलाया और ऐसा सपना देखने का कारण पूछा।
तब एक ब्राह्मण ने बताया की उसके पिता के पूर्व जन्म के कर्म है, इसीलिए उन्हे यमलोक में शांति नहीं मिल रही है। राजा ने ब्राह्मण से अपने पिता की आत्मा को मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा, तो ब्राह्मण देव ने बताया की “मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में एक एकादशी पड़ती है जिसका नाम मोक्षदा एकादशी है।
राजन अगर आप अपने पिता की आत्मा को मुक्ति दिलाना चाहते हो तो, आपको इस व्रत को विधि विधान से करना होगा”। राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत किया गरीब असहाय लोगों की मदद की, इसके एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई, और वह बैकुंठ धामवासी हो गए।