मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को पड़ती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। हिन्दू धर्म में सभी एकादशी में मोहिनी एकादशी का अधिक महत्व है। इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य मोह माया से निकल जाता है तथा 1000 गाय देने के बराबर फल प्राप्त होता है।
मोहिनी एकादशी 2024 | Mohini Ekadashi 2024 date
- मोहिनी एकादशी साल 2024 मे 19 मई दिन रविवार को पड़ रही है।
- मोहनी एकादशी तिथि का प्रारंभ 19 मई को सुबह 05:33 पर होगा, जो अगले दिन 20 मई 2024 को सुबह 8:21 मिनट तक रहेगा।
- मोहिनी एकादशी के पारण का समय 20 मई 2024 को प्रातः काल 5:27 मिनट से 8:11 मिनट तक कर सकते है।
महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुन्द्र मंथन हो रहा था, तो उसमे से अमृत निकला, जिसको पीने से कोई भी देवता या असुर अमरत्व को प्राप्त कर सकता था। मंथन से अमृत निकलते ही सभी देवताओ और असुरों में युद्ध होने लगा, और ताकत के बल पर असुर से देवता जीत नहीं पा रहे थे।
तब भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक अप्सरा का रूप धारण कर आए, और अपने मोह में सभी असुरों को फसा लिया, और छल से पूरा अमृत सभी देवताओ को पीला दिया। इस प्रकार सभी देवताओ को अमरत्व प्राप्त हुआ और इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाने लगा।
महिनी एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में भद्रावती नमक नगर में धनपाल नामक व्यक्ति रहता था। धनपाल बहुत ही धनवान था, और वह दान पुण्य के कार्यों को अधिक करता था। धनपाल के 5 पुत्र थे, जिसमे से 4 पुत्र अच्छे थे, पिता काम में उनकी सहायता व उनकी सेवा करते थे।
लेकिन उसका सबसे छोटा पुत्र हमेसा दूसरों को सताना, पिता की बात का अनादर करना, और पिता के पैसे को गलत जगह लुटाना। धनपाल अपने सबसे छोटे पुत्र से परेशान होकर उसे घर से निकल देता है।
अब धनपाल का पुत्र इधर – उधर भटकता रहा, और भटकते – भटकते वह एक महर्षि के आश्रम में जा पहुचा। और महर्षि के चरणों में जाकर विनती किया ‘ कृपा करके आप कोई व्रत बताए, जिससे मेरे सारे पाप नष्ट हो जाए। मेरे कर्मों की वजह से मेरे पिता ने मुझे घर से भी निकाल दिया है।‘
तब महर्षि ने उससे कहा तुम मोहिनी एकादशी का व्रत विधि विधान से करो, भगवान विष्णु तुम्हें अवश्य राह दिखाएंगे। अब धनपाल के पुत्र ने मोहिनी एकादशी का व्रत करना शुरू किया, कुछ दिन बाद ही उसके व्रत का उसे फल मिला, भगवान ने उसे माफ कर दिया तथा अब वह बुरे कार्यों को भी नहीं करता था। जीवन के अंत में उसे बैकुंठ धाम जाने को मिलता है।