मंगलवार व्रत कथा का महत्व हमारे पुराणों में विस्तार से उल्लेख किया गया है। इसका पाठ करने से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है
- मंगलवार व्रत को आप किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से शुरू कर सकते है।
- इस व्रत को करने से सारे संकट दूर हो जाते है, और शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कम हो जाता है।
- मंगलवार व्रत कथा का पाठ करने से व्यक्ति को सुख, संपत्ति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha
प्राचीन काल में एक कुंडलपुर नाम का नगर था। नगर में नंदा नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सुनंदा के साथ रहता था। ब्राह्मण पति-पत्नी धन और धान्य से समृद्ध थे, लेकिन संतान नहीं होने से दुखी थे।
संतान की कामना में, वे हनुमान जी की पूजा और व्रत करने लगे। ब्राह्मण देवता जंगल जाते पूजा करने के लिए और ब्राह्मणी घर पर ही प्रत्येक मंगलवार का व्रत करती और शाम को हनुमान जी को भोग लगाती और स्वयं ग्रहण करती थी।
एक बार किसी अन्य व्रत के कारण उन्होंने भोजन नहीं बनाया और हनुमान जी को भोग नहीं लगाया। लेकिन उसने यह प्रण लिया कि वह अगले मंगलवार को भगवान जी को भोग लगाने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करेगी। ब्राह्मणी 6 दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए पड़ी रही, और सातवें दिन मंगलवार को वह मूर्छित हो गई।
हनुमान जी ने उनकी आस्था और भक्ति को देखकर उन्हें एक बालक दिया और कहा, “यह बच्चा आज से तुम्हारी सेवा करेगा।” बालक को देकर हनुमान जी अंतर्ध्यान हो गए।
बालक को देखकर ब्राह्मणी अत्यंत प्रसन्न हुई और उस बालक का नाम मंगल रख दिया। कुछ दिनों बाद जब ब्राह्मण जंगल से लौट कर आया, तो उसने देखा कि उसके घर के आँगन में एक बालक खेल रहा है।
तब उसने अपनी पत्नी से पूछा, “ये बालक कौन है?” तब पत्नी ने जवाब दिया, “मंगलवार का व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होकर इस बालक को आशीर्वाद स्वरूप दिए हैं।” ब्राह्मण देवता को अपनी पत्नी की बात पर भरोसा नहीं हुआ, और वह सोचने लगे कि यह जरूर अपना पाप छुपाने के लिए झूठ बोल रही है।
एक दिन ब्राह्मण कुएं से पानी लेने जा रहे थे, तब उसकी पत्नी ने बोला कि अपने साथ मंगल को भी ले जाइए। ब्राह्मण देवता अपने साथ बालक को ले गए, और वहाँ मंगल को नाजायज मान कर कुएं में डाल दिया।
पानी लेकर जब ब्राह्मण देवता अकेले आए, तो पत्नी ने मंगल के बारे में पूछा। ब्राह्मण देवता कुछ बोलते, उससे पहले ही मंगल मुसकुराता हुआ पीछे से दिखा। उसे देख ब्राह्मण देवता आश्चर्य में पड़ गए।
उसी रात को भगवान हनुमान ब्राह्मण के स्वप्न में आए और बोले, “यह बालक मेरा बाल स्वरूप है, तुम अपनी पत्नी के बारे में गलत क्यों सोचते हो? मैंने यह बालक तुम्हारी पत्नी की व्रत पूजा भक्ति से प्रसन्न होकर दिया है।”
यह सुन ब्राह्मण देवता बहुत प्रसन्न हुए और सुखपूर्वक पत्नी और बालक के साथ जीवन यापन करने लगे।
अतः मंगलवार का व्रत तथा कथा करने से आपके सारे कष्ट और दूख का नाश होता है।
मंगलवार आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
जाके बल से गिरिवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके ||1||
आरती कीजै…
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीड़ा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये ||2||
आरती कीजै…
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवन सुत वार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे ||3||
आरती कीजै…
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। लाये संजिवन प्राण उबारे।
पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे ||4||
आरती कीजै…
बाईं भुजा असुर संहारे। दाई भुजा सब सन्त उभरे ।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें ||5 ||
आरती कीजै…
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसी बैकुंठ परम पद पावे ||6 ||
आरती कीजै…
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई |
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला कीजाके ||