सूर्य के धनु राशि से निकालकर मकर राशि में प्रवेश करने के दिन ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार भारत के सभी राज्यों एवं पड़ोसी देशों में रीतिरिवाज और धूमधाम से मनाया जाता है।
- मकर संक्रांति को राज्यों में अलग अलग नमो से जाना जाता, जैसे तमिलनाडु में पोंगल और आंध्रप्रदेश और केरल में संक्रांति, उत्तरप्रदेश में खिचड़ी संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
- सूर्य के दक्षिण ध्रुव से विषुवत रेखा के उत्तर की जाने के कारण इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है।
- ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल जनवरी माह के 14 या 15 को पड़ता है।
- इस पर्व में गंगा स्नान, दानपुण्य आदिकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना करते है।
- इस पर्व को नए फसल नई ऋतु आने की उत्साह में तथा धार्मिक रूप से भी मनाया जाता है।
- इस पर्व पर सभी बच्चे, नवजवान, बूढ़े मिलकर पतंग उड़ाते है और एक दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व पर नाचते गाते है।
मकर संक्रांति 2024 | Makar Sankranti 2024
2025 में मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन मंगलवार 2025 को मनाई जाएगी। इस पर्व पर क्षमतानुसार किए दान का बहुत लाभ मिलता है।
मकर संक्रांति क्यू मनाया जाता है? | Makar Sankranti Kyu Manai Jati Hai ?
मकर संक्रांति पर्व मनाने के धार्मिक कारण यह है की इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के यहा उनसे मिलने गए, और पिता को देखकर शनि देव ने अपने पिता का स्वागत तील से किया। शनि देव मकर राशि के स्वामी माने जाते है।
सूर्य के मकर राशि में जाने के कारण और आपसी पुत्र पिता के मतभेद दूर होने की वजह से इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है।
मकर संक्रांति से संबंधित एक और कथा प्रचलित है-
मान्यता है की एक राक्षस जो की पृथ्वी पर सभी को अपनी दैवीय शक्तियों से अत्याचार कर रहा था। भगवान श्री हरि विष्णु ने इस दिन इस राक्षस का वध कर एक उसे मंदरा पर्वत फेक दिया। राक्षस के अतीचार से मुक्ति मिल जाने की वजह से इस पर्व को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाने लगा।