कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण उत्सव है, जो 12 साल के दौरान 4 अलग-अलग शहरों में लगाया जाता है। जिन पवित्र तीर्थ स्थलों पर यह लगता है वहा लाखों की संख्या में श्रद्धालु, नागा साधु और अनेक शिव भक्त इकट्ठा होते है।
- इन मेलों का आयोजन ब्रहस्पति और सूर्य ग्रहों की राशियो में स्थिति के अनुसार होता है।
- यह मेला हर 3 साल के अंतराल पर अलग-अलग शहरों पर लगता है।
- कुम्भ मेला लगने वाले चार शहर के नाम – नासिक, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन।
- 6 साल में कुम्भ को अर्धकुंभ और 12 साल में लगे कुम्भ मेले को महाकुंभ कहा जाता है।
- इस मेले में शामिल होने और संगम पर स्नान करने देश भर के सभी शहरों से श्रद्धालु लाखों की संख्या में आते है।
- साल 2025 में कुम्भ मेले का आयोजन उत्तरप्रदेश के प्रयागराज शहर में लगेगा।
- कुम्भ की शुरुआत मान्यता है की अमृत मंथन के समय से हुई है।
- मंथन में अमृत की कुछ बुँदे इन चार प्रसिद्ध स्थलों पर हिरी इसीलिए यहा पर कुम्भ का आयोजन होता है।
कुम्भ मेला 2025 | Kumbh Mela 2025 Date
अगली साल, प्रयागराज में कुम्भ मेला आयोजित किया जाएगा। यह महामेला 14 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक त्रिवेणी संगम पर आयोजित किया जाएगा।
- शाही स्नान की दिन व तारीख – शाही स्नान 13 जनवारी से शुरू होगा और 8 मार्च को समाप्त हो जाएगा। नीचे दिए गए महत्वपूर्ण पर्व दिनों पे शाही स्नान होगा।
- 13 जनवरी
- 14 जनवरी
- 29 जनवरी
- 3 फरवरी
- 4 फरवरी
- 8 फरवरी
- 12 मार्च
जानिए कुम्भ मेले किन शहरों में आयोजित होते है?
इसका आयोजन 4 तीर्थस्थलों पर होता है।
- हरिद्वार हरिद्वार में कुम्भ मेले का आयोजन तब होता है, जब सूर्य की दृष्टि मेष राशि में और ब्रहस्पति जातक की कुम्भ राशि में विराजमान हो।
- प्रयागराज इलाहाबाद या प्रयागराज में कुम्भ का आयोजन तब होता है, जब ब्रहस्पति ग्रह वृषभ राशि में हो और सूर्य ग्रह मकर राशि मे हो,।
- उज्जैन उज्जैन में मेले का आयोजन ब्रहस्पति के सिंह राशि में और सूर्य के मेष राशि में होने पर यहाँ उज्जैन में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है।
- नासिक नासिक में मेले का आयोजनतब होता है जब सूर्य और ब्रहस्पति दोनों ग्रह एक साथ सिंह राशि में विराजमान हो।
कुम्भ मेला कब प्रारंभ हुआ था?
कुम्भ मेले की शुरुआत समुन्द्र मंथन से के दौरान हुई थी। जब समुन्द्र मंथन से अमृत निकला तो उसके लिए सभी देवताओ और असुरों में युद्ध हुआ 12 दिन हुआ और युद्ध में अमृत की बुँदे पृथ्वी की इन 4 स्थलों पर गिरी इसीलिए इन 4 शहरों में कुम्भ का आयोजन होता है।
परंतु 12 वर्ष में कुम्भ मेले के आयोजन इसीलिए होता है क्यू की पृथ्वी का 12 साल स्वर्ग के 12 दिन के बराबर है। इसीलिए हर 12 साल में महाकुंभ व हर चौथे साल अलग-अलग स्थलों पर कुम्भ लगता है।