कोणार्क का सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ के समान निर्मित है। यह ओडिशा के कोणार्क में स्थित है और भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर में 24 पहिये हैं और इसे 7 घोड़ों द्वारा खींचते हुए प्रदर्शित किया गया है। हालांकि इस मंदिर का अधिकांश भाग टूट चुका है, लेकिन इसकी वास्तुकला कलिंग शैली का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- ओडिशा के कोणार्क मंदिर का निर्माण कलिंग शैली में बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से हुआ था, जिसे ब्लैक पैगोडा भी कहा जाता है।
- ओडिशा के सूर्य मंदिर जो समय की गति को प्रदर्शित करता है, जिसे अभी भी समय के लिए धूप घड़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- इस सूर्य मंदिर में पूजा नहीं की जाती है, मान्यता है इस मंदिर को पूर्ण रूप से तैयार करने की एक समय सीमा थी जिसे समय से पूर्ण नहीं किया गया था।
- समय से मंदिर निर्माण पूर्ण न होने से सभी श्रमिकों पर नाराज राजा ने कठोर दंड देने का निर्णय किया था।
- सभी श्रमिक की जान बचाने के लिए बिषु नाम का एक बालक मंदिर की छत से कूद जाता है और इसी वजह से मंदिर की पूजा नहीं की जाती है।
- मान्यता है की यह बालक भगवान सूर्य का एक स्वरूप था जिन्होंने राजा का घमंड तोड़ने तथा सभी श्रमिक की जान बचाने के लिए उत्पन्न हुए थे।
- रथ में लगे हुए 12 पहिये 12 महीने, तथा रथ खिचते घोड़े सप्ताह के सात दिनों के प्रतीक है।
- रथो में लगे आठ चक्र दिन के 8 प्रहर पहर को प्रदर्शित करते है।
- कोणार्क मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा नरसिंहदेव ने 1238 -1250 में कराया था।
- इस मंदिर को वर्ष 1984 में में यूनेशकों की विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया है।
समय | Konark Surya Mandir Timing
कोणार्क मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 तक खुला रहता है। ये समय अलग-अलग मौसम या विशेष कार्यक्रमों के दौरान थोड़ा बदल सकते हैं।
कोणार्क मंदिर चक्र | Konark Mandir Chakra
मंदिर के रथ की संरचना वास्तव में बहुत ही अद्वितीय और प्रतीकात्मक है। इस रथ में बने हुए 8 चक्र और 7 घोड़े निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारी और प्रतीकात्मकता को दर्शाते हैं:
- 8 चक्र (आठ प्रहर): रथ के 8 चक्र दिन के आठ प्रहर को प्रदर्शित करते हैं। भारतीय समय प्रणाली में एक दिन को आठ प्रहरों में विभाजित किया जाता है, और ये चक्र उस विभाजन का प्रतीक हैं।
- 12 महीने: रथ के पहिये 12 महीनों को दर्शाते हैं। प्रत्येक चक्र के माध्यम से साल के 12 महीनों की निरंतरता और चक्र को दर्शाया गया है।
- 7 घोड़े: रथ को खींचते हुए 7 घोड़े सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं। ये सात घोड़े समय की निरंतरता और सप्ताह के सात दिनों के लगातार प्रवाह का प्रतीक हैं।
- सूर्य का रथ: यह रथ सूर्य देवता का प्रतिनिधित्व करता है, जो आकाश में अपने रथ पर सवार होकर यात्रा करते हैं। यह पूरी संरचना सूर्य की गति और समय की अवधारणा को दर्शाती है।
पुरी से कोणार्क की दूरी | Puri To Konark Mandir Distance
पुरी से कोणार्क सूर्य मंदिर की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। यह दूरी सड़क मार्ग से तय की जाती है और यात्रा में आमतौर पर लगभग 1 से 1.5 घंटे का समय लगता है, इस पर निर्भर करता है कि यातायात और सड़क की स्थिति कैसी है।
कोणार्क मंदिर किसने बनवाया था? | Konark Mandir Kisne Banwaya Tha?
कोणार्क मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा नरसिंह देव मे 13 वी शताब्दी में कराया था। परंतु कुछ इतिहासकार का मानना है की राजा नर्सिंग के मृत्यु के पश्चात ही इसका निर्माण कार्य शुरू व इसी वंश के अन्य राजाओ द्वारा इसे पूर्ण किया गया था।
इतिहास | History
पौराणिक मान्यता है की एक बार भगवान कृष्ण के पुत्र ऋषि नारद से अभद्र व्यवहार करता है, जिसकी वजह से नाराज नारद जी ने साम्ब को श्राप दिया ‘ कोढ़ हो जाएगा तुझे, और तेरे पास कोई नहीं आएगा’।
नारद जी के श्राप से साम्ब को कोढ़ रोग हो गया और वह बहुत परेशान था। परेशान साम्ब ने ओडिशा के कोणार्क में आकर 12 वर्षों तक भगवान सूर्य की आराधना की। सांब की तपस्या देखकर खुश हुए, और उसे दर्शन दिए तथा उसके कोढ़ रोग को समाप्त कर दिया। जिसे देखकर उन्होंने भगवान सूर्य का मंदिर निर्माण करने का निर्णय लिया।
रोग समाप्त होने के बाद पास की चंद्रभागा नदी पर स्नान करने गये। नहाते समय भगवान सूर्य का मूर्ति मिली। जिसे वर्तमान के जगनाथ मंदिर में रख दी गई है।