हर साल खरमास साल में 2 बार पड़ता है। एक बार मार्च में तथा दूसरी बार दिसंबर माह में लगता है। खरवास की अवधि 1 महीने की होती है।
- इस साल 2024 में खरमास 14 मार्च से लग रहा है, जो 13 अप्रैल तक रहेगा।
- 14 मार्च को 12:36 मिनट पर सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा, तभी खरमास लग जाएगा।
- जब सूर्य 13 अप्रैल को मीन राशि से निकल मेष राशि में प्रवेश करेगा, तो खरमास खत्म हो जाएगा।
- खरमास में भगवान सूर्यदेव, भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है की जिस माह में सूर्यदेव खर(गधा) को घोड़े के स्थान पर अपने रथ में लगा के ब्रह्मांड की परिक्रमा की थी, उसी माह को खरमास कहते है।
- हमारे हिन्दू धर्म में खरमास के समय किसी भी शुभ काम का आयोजन नहीं किया जाता है। जैसे – शादी, विवाह, मुंडन, नया कारोबार शुरू, आदि।
- ध्यान रहे की खरमास व मलमास में अंतर होता है, खरमास साल में 2 बार आता है तथा मलमास 3 साल में एक बार आता है।
खरमास में करना चाहिए ये काम
- खरमास में गंगास्नान व गाय, ब्राह्मण, जरूरतमंद की सेवा अवश्य करनी चाहिए।
- प्रतिदिन सूर्य को तांबे के लोटे से जल जरूर देना चाहिए।
- माह मे एक बार किसी तीर्थ स्थल पर अवश्य जाना चाहिए।
- गुरुवार का व्रत करना चाहिए।
- भगवान की पूजा पाठ दान धर्म का कार्य अवश्य करे।
खरमास में नहीं करना चाहिए ये काम
- शादी विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, सगाई आदि को नहीं करना चाहिए।
- नया वाहन, नया मकान या संपत्ति, नहीं खरीदना चाहिए।
- अपने घर की बेटी, बहु की विदाई नहीं की जाती है ।
- खरमास में नए वस्त्र भी नहीं खरीदा जाता है।
- कोई भी नया कारोबार नहीं शुरू करना चाहिए।
- तामसिक भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।
खरमास कथा | kharmas Katha
सूर्य देव अपने सात घोड़ों पर सवार होकर, लगातार पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते है। सूर्यदेव को कही भी रुकने व आराम नहीं कर सकते है, क्यू की अगर ऐसा होगा तो सारा व्यवस्था और जनजीवन बिगड़ जाएगा।
लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करने से सूर्य देव के घोड़े भूखे प्यासे और थक जाते है। भगवान सूर्यदेव ने निर्णय लिया की वह सभी घोड़ों को तालाब के पास छोड़ देंगे विश्राम करने के लिए। लेकिन तभी उन्हे याद आया की अगर वह रुक रुक गए तो सारी व्यवस्त ध्वस्त हो जाएगी।
पास ही में उन्हे गधे दिखाई दिए, तो उन्होंने सोचा की जब तक घोड़े विश्राम करेंगे तब वह अपने रथ में गधे को बांध के चलेंगे।
विचारनुसार ऐसा ही सूर्यदेव ने किया, लेकिन उनकी परिक्रमा की गति काफी धीमी हो गई घोड़ों की अपेक्षा। गधों की सहायता से जैसे तैसे करते 1 मास का समय बीतता है, तब तक सातों घोड़े विश्राम कर लेते है और सूर्यदेव गधों को हटाकर घोड़ों को रथ में लगा लेते है।