केतु एक सिर कटे दानव का धड़, जिसे एक छाया ग्रह के रूप में माना गया है। मान्यता है की भगवान विष्णु ने समुन्द्र मंथन के समय उसका सिर काट दिया था।
राक्षसी स्वभाव होने के कारण केतु को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी जाती है, जो की व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक परिणाम देता है और उसके लिए सामाजिक और व्यापारिक समस्याएँ उत्पन्न करता है। कुंडली में केतु जिस भाव में स्थित होता है, जातक को उसका परिणाम उसी भाव के अनुसार मिलता है।
- केतु ग्रह को 3 नक्षत्रों अश्विनी, माघा, मूल नक्षत्र का मुखिया माना जाता है।
- कुंडली में सभी 12 भावों में केतु की स्थित, किसी न किसी कर्म का फल देता है।
- केतु जिस भाव में होगा जिस स्थिति में होगा उसका प्रभाव जातक पर पड़ेगा।
- केतु ग्रह की महादशा लगभग 7 वर्ष रहती है, तथा अंतर्दशा लगभग 11 माह तक।
- जिनकी कुंडली में केतु ग्रह कमजोर होता है उन्हे विभिन समस्या का सामना करता पड़ता है।
कुंडली में केतु की अलग–अलग भावों में स्थिति व उसका प्रभाव
प्रथम भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 1st House
जिस जातक के प्रथम भाव में केतु के अशुभ प्रभाव पड़ते है, तो सबसे पहले वह किसी भी कार्य को लग कर नहीं कर पाते, इधर-उधर भटकते रहते है, इसके आलवा व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में समस्या, बच्चों को शिक्षा में अरुचि, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
द्वितीय भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 2nd House
केतु के दूसरे भाव में अशुभ प्रभाव से जातक के सभी भौतिक सुख-सुविधाओ, व्यापार में तथा धन आने के सभी स्रोतों में हानी, कोर्ट कचहरी का सामना, कर्ज चुकाने की समस्या, तथा स्वभाव में चिड़चिड़ापान और बदलाव, गुस्सा, मनमुटाव और उसके सोचने विचारने में परिवर्तन तथा अध्यात्म से दूर हो जाता है।
तृतीया भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 3rd House
केतु के तीसरे भाव में अशुभ प्रभाव से जातक को व्यापरिक समस्या और रोजगार की समस्या, कार्यस्थल पर वैचारिक मतभेद आदि देखने को मिलते है इसके अलावा शारीरिक, मानसिक उलझन आदि शुरू हो जाती है। और परिवार के सदस्यों में लड़ाई-झगड़े, व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में समस्या आदि समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
चतुर्थ भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 4th House
केतु के चतुर्थ भाव की स्थिति में बुरे प्रभाव से जातक को कार्यस्थल पर विवादों का सामना और घर में शांति महसूस नहीं होती है, हमेशा बेचैन रहता है। उसका रुझान दूसरों की ओर अधिक होती है, इससे जातक के रिस्तो में दरार, बच्चों पर प्रभाव माता-बच्चों में दूरिया आदि देखने को मिलता है।
पंचम भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 5th House
कुंडली के पंचम भाव में केतु के बुरे प्रभाव से निर्णय लेने में संकोच की भावना, रिस्तो में उलझने, और तनाव को बना रहता है। इसमे जातक को रिस्तो में अस्थिरता, पति पत्नी में तनाव, माता पिता से दूरी, और खुद को अकेलापन महसूस, अपने सगे और आस पास के लोगों पर शक की भावना उत्पन्न होती है।
षष्ठी भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 6th House
कुंडली के छठवे भाव में केतु की बुरे प्रभाव से जातक को अनेक उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है, जातक का मन अनर्थ कार्यों जैसे सट्टे बाजी, जल्द अमीर होने की इच्छा और दूसरों से पैसे उधार, धोखाधड़ी, चोरी, और कभी-कभी लूट का विचार, बीमारियों का सामना और खर्च को काबू नही कर पाता है।
सप्तम भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 7th House
कुंडली के सातवे भाव में केतु की स्थिति विभिन क्षेत्रों से संबंधित समस्या से स्मबंधित है। इसमे जातक अहंकारी तथा झूठे वादे का आदत, व्यापार में समस्या, कोर्ट कचहरी, रिस्तो में दरार, लड़ाई झगड़े, व्यापारिक स्थल पर अनेक चुनौती को सामना, प्रेमी से धोखा, आदि समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है। करना पड़ता है,
अष्टम भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 8th House
कुंडली के आठवे भाव में केतु की स्थिति से जातक व्यक्ति को वित्तीय समस्या, दुर्भाग्य, और आर्थिक बाधा, स्वस्थ में दिक्कत जैसे, बुखार, जोड़ों में दर्द, शुगर की समस्या, हार्ट की समस्या समस्या आदि, इसके आलावा मानसिक रूप से परेशान रहता है और उसे असुरक्षा की भावना जागृत होती है, और कभी कभी जातक की अकाल मृत्यु भी हो जाती है।
नौवे भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 9th House
कुंडली के नौवे भाव में केतु के प्रभाव से जातक को उसके पिता की संपत्ति से हिस्सा न मिलना, अनैतिक कार्यों को करने की ओर अग्रसर, धोखाधड़ी, सट्टेबाजी, और भाई बहन परिवार में मनमुटाव देखने को मिलता है। इसके आलावा व्यक्ति के पैरों और जोड़ों से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
दसवे भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 10th House
कुंडली के आठवे भाव में केतु के बुरे प्रभाव से जातक को उसके कार्य और पहचान पर उंगली उठाई जाती है, उसके लोकप्रियता में कमी, वाद विवाद, बेरोजगारी का सामना, तनाव का सामना, शारीरक रूप से कष्ट जैसे अनेक व्यवधानो का सामना करना पड़ता है।
ग्यारह भाव में केतु की स्थिति | Ketu in 11th House
कुंडली के आठवे भाव में केतु की स्थिति से मित्र और करीबी व्यक्तियों से धोका, वित्तीय और आर्थिक, व्यापार में हानी, नौकरी में असंतोस, सामाजिक और पारिवारिक रूप से कुंठित, मानसिक रूप से परेशान जैसी अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बारहवे वे भाव में केतु की स्थिति Ketu in 12th House
कुंडली के बारहवें भाव में केतु की स्थिति जातक को सामाजिक रूप से परेशान करती है और वह अंतर्मुखी स्वभाव का हो जाता है। इसके अलावा व्यक्ति के सोचने-विचारने, निर्णय लेने के तरीके बदल जाते है, इस समय व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों और पति पत्नी के बीच विवाद उत्पन्न होते है।
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