केमद्रुम दोष तब उत्पन्न होता है जब चंद्रमा के पिछले भाव मे या अगले भाव मे कोई ग्रह नहीं होता है या चंद्रमा की किसी अन्य ग्राह से युक्ति नहीं बनती तब यह दोष बनता हैं। इस दोष का मुख्य कारण चंद्रमा का अकेला होना और उसकी कमजोर स्थिति मानी जाती है। यह दोष जातक के मानसिक और भावनात्मक संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे जीवन में संघर्ष और अस्थिरता आती है।
केमद्रुम दोष के लक्षण | Kemdrum Dosh Ke Lakshan
केमद्रुम दोष से प्रभावित जातक के जीवन में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं:
- आर्थिक समस्याएँ: व्यक्ति को लगातार आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, धन का अभाव होता है।
- मानसिक तनाव: जातक अक्सर मानसिक रूप से परेशान रहता है, और उसे चिंता और अवसाद का सामना करना पड़ता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी: जातक को समाज में मान-सम्मान में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
- अकेलापन और असुरक्षा: जातक के जीवन में अकेलापन और असुरक्षा की भावना बनी रहती है।
- जीवन में असफलता: मेहनत के बावजूद सफलता न मिलना, और जीवन में लगातार असफलताएँ।
- परिवार में अस्थिरता: परिवार में कलह और तनाव का माहौल बना रहता है।
केमद्रुम दोष के उपाय | Kemdrum Dosh Ke Upay
केमद्रुम दोष से मुक्ति पाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- चंद्र पूजा: नियमित रूप से चंद्र देव की पूजा करें और चंद्र मंत्र का जाप करें।
- सोमवार का व्रत: सोमवार के दिन व्रत रखें और शिवजी की आराधना करें।
- चंद्र यंत्र स्थापना: चंद्र यंत्र को अपने घर में स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें।
- गौ सेवा: गाय की सेवा करें और उसे हरा चारा खिलाएं, जिससे चंद्रमा की शांति मिलती है।
- रूद्राभिषेक: शिवलिंग पर दूध और जल से अभिषेक करें, जिससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- ध्यान और योग: मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए नियमित ध्यान और योग का अभ्यास करें।
इन उपायों का पालन करने से केमद्रुम दोष का प्रभाव कम होता है और जातक के जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।