क्वींस रोड, वैशाली नगर, जयपुर में स्थित झारखंड महादेव मंदिर का निर्माण सन् 1918 में करवाया गया था। यह स्थान “छोटी काशी” के नाम से भी प्रसिद्ध है। महादेव के इस पावन मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है, जो इसे अद्वितीय बनाती है।
झारखण्ड महादेव मंदिर जयपुर का इतिहास
झारखंड महादेव मंदिर का निर्माण सन 1918 में एक श्रद्धालु शिव भक्त और साहूकार, सेठ बब्बूजी महेश्वरी द्वारा कराया गया था। मंदिर में स्थित शिवलिंग स्वयंभू है, हालांकि इसके प्रकट होने की कोई लिखित तिथि उपलब्ध नहीं है।
मंदिर की स्थापना की कथा
बालक सेठ बब्बूजी एक दिन अपने साथियों के साथ जंगल में भ्रमण के लिए निकले। उस समय यह क्षेत्र घने जंगल (झार) से भरा हुआ था, जिससे लोगों का यहां आना-जाना बहुत कठिन था। भ्रमण के दौरान सेठ बब्बूजी को एक साधु ध्यानमग्न दिखे जिनका नाम बाबा गोविंदनाथ था, जिनके समीप एक स्वयंभू शिवलिंग स्थित था। शिवलिंग के दर्शन करते ही वे भाव-विभोर हो गए और महादेव के प्रति आस्था और भक्ति से भर उठे।
सेठ बब्बूजी ने साधु से मंदिर निर्माण की अनुमति मांगी, जिसे साधु ने सहजता से स्वीकार कर लिया। अगले ही दिन वे 300 कारीगरों के साथ मंदिर निर्माण शुरू करवाने पहुंचे। यह देखकर साधु आश्चर्यचकित रह गए और इसे महादेव की इच्छा मानते हुए मंदिर निर्माण का आशीर्वाद दिया और कुछ समय में मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ।
मंदिर का नाम कैसे पड़ा?
मंदिर का नाम “झारखंड महादेव” इस क्षेत्र में पहले घने जंगल (झार) होने के कारण पड़ा। इसे “छोटी काशी” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
इस प्रकार, बाबा गोविंदनाथ के आशीर्वाद और सेठ बब्बूजी के प्रयासों से श्री झारखंडनाथ महादेव तीर्थ स्थली की स्थापना हुई, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।