गुड़ी पाड़वा हिन्दू कैलंडर के अनुसार चैत्र माह में आता है, तथा इसे पर्व को दक्षिण भारत के लोग नववर्ष के रूप में मनाते है। यह 2 शब्दों से मिलकर बना है, गुड़ी का अर्थ “विजय पताका” व पाड़वा का अर्थ “चंद्रमा का पहला दिन” है। इस त्योहार को उगादि नाम से भी जाना जाता है।
गुड़ी पाड़वा 2024 मुहूर्त | Gudi Padwa 2024 date
साल 2024 में गुड़ी पाड़वा 9 अप्रैल 2024 (मंगलवार) को पड़ रहा है और तिथि का आरंभ 8 अप्रैल को रात्रि 11:50 मिनट पर होगा, और तिथि की समाप्ति 9 अप्रैल को रात्री 8:30 बजे होगी।
कैसे मनाया जाता है गुड़ी पाड़वा |
गुड़ी पाड़वा के दिन महिलायें और परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूरे घर की सफाई करते है। इसके बाद पूरे शरीर में तेल लगा कर स्नान किया जाता है। घर के द्वार पर रंगोली, तथा आम के पत्तों का तोरण बना कर घर के मुख्य द्वार पर लगाते है।
इसके बाद घर के सामने एक तांबे के लोटे को डंडे पर उल्टा रखकर उसे लाल या पीला कपड़े फूल, माला चढ़ाया जाता हैं जिसे गुड़ी कहाँ जाता है।
इस त्योहार में भगवान विष्णु तथा ब्रह्मा जी की पूजा होती है, और सुंदरकांड, का पाठ किया जाता है। खाने के लिए मीठे पाकवान और श्रीखंड आदि बनाया जाता है
पूजा के बाद लोग नए वस्त्र को पहन कर एक दूसरे से मिलने जाते है, व अपने यहाँ बुलाते है और साथ में मिलकर त्योहार मनाते है।
गुड़ी पाड़वा कथा | Gudi Padwa katha in hindi
गुड़ी पाड़वा से संबंधित अनेक कथाएँ है, तथा सबका अपना अपना मत भी है, की यह क्यू मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है की गुड़ी पाड़वा के दिन भगवान ब्रह्मा जी ने इस समस्त जग या सृष्टि का निर्माण किया था, इसीलिए इन दिन ब्राह्मा जी की पूजा की जाती है। और यह त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है।
एक और कथा प्रचलित है गुड़ी पाड़वा से संबंधित , माना जाता है की जब रावण ने माता सीता का छल से हरण कर लिया था, तो श्री राम उनको छुड़ाने के लिए लंका युद्ध करने जा रहे, जब वह लंका जा रहे थे तो रास्ते में उन्हे सुग्रीव मिले, और सुग्रीव ने अपने भाई बलि के कुशासन के बारे में बताया। तब भगवान श्री राम ने बलि का वध कर दिया और सभी जनता को उसके अत्याचार से मुक्ति मिल गई। जिस दिन बलि का वध हुआ था वो माह था चैत्र माह का शुक्ल पक्ष था, विजय की खुशी में इसी दिन यह का त्योहार मनाया जाने लगा।